F&O ट्रेडिंग पर इकोनॉमिक सर्वे ने दी चेतावनी, कहा- "भारत जैसे विकासशील देश में नहीं है इसकी जगह"

Budget Economic Survey: आर्थिक सर्वे में रिटेल निवेशकों के बीच फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग के बढ़ते चलन की कड़ी आलोचना की गई है। यह पहली बार है जब किसी सरकारी एजेंसी ने F&O ट्रेडिंग को लेकर इतने कठोर शब्द का इस्तेमाल किया है। सर्वे में यहां तक कहा गया कि इस तरह के सट्टा ट्रेडिंग का भारत जैसे “विकासशील देश में कोई जगह नहीं है”

अपडेटेड Jul 22, 2024 पर 5:31 PM
Story continues below Advertisement
Economic Survey में कहा गया है, "ग्लोबल स्तर पर, डेरिवेटिव ट्रेडिंग में निवेशकों को सबसे ज्यादा घाटा होता है।"

Budget Economic Survey: आर्थिक सर्वे में रिटेल निवेशकों के बीच फ्यूचर एंड ऑप्शंस (F&O) ट्रेडिंग के बढ़ते चलन की कड़ी आलोचना की गई है। यह पहली बार है जब किसी सरकारी एजेंसी ने F&O ट्रेडिंग को लेकर इतने कठोर शब्द का इस्तेमाल किया है। सर्वे में यहां तक कहा गया कि इस तरह के सट्टा ट्रेडिंग का भारत जैसे “विकासशील देश में कोई जगह नहीं है”। इससे भी अहम बात यह है कि इसने चेतावनी दी है कि शेयर बाजार में किसी भी बड़ी संभावित गिरावट से निवेशक खुद को ठगा हुआ महसूस कर सकते हैं और वे लंबे समय तक शेयर बाजार में वापस आने से कतरा सकते हैं जो पूरी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेय हो सकता है।

सर्वे में कहा गया है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग में बड़े पैमाने पर लाभ कमाने की संभावना होती है। ऐसे में यह अक्सर जुआ खेलने की मानवीय प्रवृत्ति को बढ़ावा देती है और लोगों को अधिक कमाई की लालच में अपनी ओर आकर्षित करती है। इसके चलते बड़ी संख्या में रिटेल निवेशक F&O ट्रेडिंग की ओर मुड़ रहे हैं। हालांकि डेरिवेटिव ट्रेडिंग की हकीकत काफी अलग है।

इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है, "ग्लोबल स्तर पर, डेरिवेटिव ट्रेडिंग में निवेशकों को सबसे ज्यादा घाटा होता है।" तुरंत कमाई का लालच एक जाल हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि डेरिवेटिव ट्रेडिंग में भाग लेने वाले अधिकतर लोगों को अंत में घाटा ही उठाना पड़ता है। सर्वे में कहा गया है कि इसलिए निवेशकों में जागरूकता बढ़ाने और उन्हें लगातार फाइनेंशियल एजुकेशन देना काफी अहम है।


आर्थिक सर्वे में चेतावनी दी गई है कि इस तरह के अनुभव रिटेल निवेशकों को लंबे समय तक शेयर बाजार में लौटने से रोक सकते हैं, जो उनकी वित्तीय भलाई और व्यापक अर्थव्यवस्था दोनों के लिए हानिकारक होगा। सर्वे में ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हुए गया है कि अर्थव्यवस्थाओं का वित्तीयकरण अच्छा नहीं रहा है। यहां तक कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी। 2008 का ग्लोबल संकट इसका बड़ा उदाहरण है।

यह भी पढ़ें- Share Market: बजट से पहले शेयर बाजार ने कराई कमाई, निवेशकों की ₹1.94 लाख करोड़ बढ़ गई संपत्ति

MoneyControl News

MoneyControl News

First Published: Jul 22, 2024 5:31 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।