नई एनडीए सरकार अपना फुल बजट जुलाई की तीसरे हफ्ते में पेश कर सकती है। बजट में सरकार का फोकस फिस्कल प्रूडेंश पर जारी रहने की उम्मीद है। मामले से जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी। पहले इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेजी को अपने दम पर सरकार बनाने लायक सीटें नहीं मिलने से नई एनडीएस सरकार के फोकस में बदलाव हो सकता है। सरकार अपनी फिस्कल पॉलिसी में बदलाव कर सकती है। उसका फोकस लोगों के फायदे से जुड़ी योजनाओं पर बढ़ सकता है।
फिस्कल डेफिसिट को घटाने पर फोकस
सूत्रों ने बताया कि फुल बजट में एक तरफ जहां फोकस वेल्फेयर से जुड़ी कुछ स्कीमों पर बढ़ेगा वही दूसरी तरफ सरकार फिस्कल प्रूडेंस की भी ध्यान रखेगी। सरकार इस फाइनेंशियल ईयर के लिए फिस्कल डेफिसिट जीडीपी के 5.1 फीसदी तक रखने के टारगेट को बनाए रख सकती है। इसकी वजह यह है कि सरकार मीडियम टर्म यानी FY26 तक फिस्कल डेफिसिट को 4.5 फीसदी से कम करना चाहती है।
FY24 में फिस्कल डेफिसिट टारगेट से कम
इस बारे में जानकारी देने वाले एक सूत्र ने कहा कि सरकार FY25 के लिए तय फिस्कल डेफिसिट के टारगेट को और घटा सकती है। इस बारे में फैसला एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट पेश होने के करीब लिया जा सकता है। FY24 में सरकार का फिस्कल डेफिसिट 5.6 फीसदी रहा। यह बजट में तय 5.8 फीसदी के लक्ष्य से कम था। फिस्कल डेफिसिट तय लक्ष्य से कम रहने से सरकार ने राहत की सांस ली थी।
RBI के डिविडेंड से सरकार का हौसला बुलंद
RBI से 2.1 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड मिलने के बाद फिस्कल डेफिसिट में कमी लाने की सरकार की कोशिश को मजबूत मिली है। डिविडेंस से मिले पैसे से सरकार का फिस्कल डेफिसिट करीब 0.3 फीसदी तक घट सकता है। सरकार का फोकस ग्रामीण इलाकों में कंजम्प्शन बढ़ाने पर भी हो सकता है। इससे ग्रोथ को मजबूती मिलेगी। FY24 में इकोनॉमी की ग्रोथ 8.2 फीसदी रहने की उम्मीद है।
कंजम्प्शन बढ़ाने के उपाय हो सकते हैं
प्राइवेट कंजम्प्शन करीब 4 फीसदी है। अगर कोविड के साल को छोड़ दिया जाए तो यह 20 साल में सबसे कम है। फार्म सेक्टर का ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) भी सिर्फ 1.4 फीसदी है। यह 2022-23 में 4.7 फीसदी था। जानकारी देने वाले एक सूत्र ने बताया कि कैपिटल एक्सपेंडिचर पर सरकार का फोकस बने रहने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि इसका इकोनॉमी पर कई तरह से पॉजिटिव असर पड़ता है।
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पूंजीगत खर्च पर जोर बना रहेगा
कोविड की महामारी के बाद से सरकार का फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने पर रहा है। दरअसल सरकार पब्लिक स्पेंडिंग की क्वालिटी बढ़ाना चाहती है। यही वजह है कि सरकार ने FY25 में भी पूंजीगत खर्च के 11.1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है। यह FY24 के बजट के मुकाबले 11.1 फीसदी ज्यादा है, जबकि रिवाइज्ड एस्टिमेट से 16.9 फीसदी ज्यादा है।