Union Budget 2023 : सरकार ने मेडिकल टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के लिए पूर्व में काफी कुछ किया है। देश में कई मेडिकल पार्क बनाए गए। इस सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम लॉन्च की गई। कंप्लायंस के बोझ को कम करने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MTaI) ने कहा कि आगामी आम बजट में सरकार की उसकी मांगों को मानकर इस इंडस्ट्री की राह और आसान कर सकती है। बीते साल ही मेडटेक इंडस्ट्री (MedTech industry) कई रिफॉर्म्स की गवाह बनी, जिनका उद्देश्य भारत के रेगुलेटरी मैकेनिज्म को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सिस्टम जैसा बनाना था।
MedTech बॉडी ने एक बयान के जरिये कहा, डिपार्टमेंट ऑफ फार्मास्युटिकल्स द्वारा पेश पीएलआई जैसी स्कीम्स के साथ ही देश भर में मेडिकल पार्क बनाने से मोदी सरकार के देश के मेडिकल डिवाइस सेक्टर को आगे बढ़ाने के इरादे का पता चलता है। एफडीआई को लुभाने के लिए काफी काम किया गया है।
80 फीसदी आयात पर निर्भर है भारत
MTaI के चेयरमैन और डायरेक्टर जनरल पवन चौधरी ने कहा, “सरकारी डेटा के मुताबिक, गुणवत्तापूर्ण सेवाओं के लिए बढ़ती मांग पूरी करने के उद्देश्य से भारत लगभग 80 फीसदी मेडिकल डिवाइसेज का आयात करता है। इसके अलावा, भारत में मेडिकल डिवाइसेज (medical devices) पर लगने वाली ड्यूटीज और टैक्स दुनिया और यहां तक कि पड़ोसी देशों से खासे ज्यादा हैं। यह सरकार के लक्ष्यों के विपरीत है। आम बजट 2023 में हम इसमें सुधार की उम्मीद करते हैं।”
चौधरी ने यह भी कहा कि मेडटेक इंडस्ट्री पिछले आम बजट की तुलना में कुछ ज्यादा की उम्मीद कर रही है।
सेक्टर के लिए अलग बजट की जरूरत
उन्होंने कहा, मेडिकल डिवाइस सेक्टर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसके प्रमोशन और मार्केटिंग के लिए एक अलग बजट आवंटित किया जाना चाहिए। मेडटेक बॉडी के मुताबिक, मेडिकल डिवाइसेज पर लगने वाली ऊंची कस्टम ड्यूटीज को घटाकर 2.5 फीसदी के स्तर पर लाए जाने की जरूरत है।
एसोसिएशन ने दावा किया कि कस्टम ड्यूटी से भारत में मेडिकल डिवाइसेज की कॉस्ट पर नकारात्मक असर पड़ता है।