Union Budget 2023: मैन्युफैक्चरिंग पर बना रहेगा सरकार का फोकस, निर्मला सीतारमण ने रघुराम राजन को दिया यह जवाब

Union Budget 2023 : फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगर कुछ लोगों का मानना है कि इंडिया को मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस नहीं करना चाहिए, बल्कि सिर्फ सर्विसेज पर फोकस करना चाहिए तो मैं इसके लिए सॉरी कहती हूं। ऐसा नहीं होने वाला है

अपडेटेड Dec 19, 2022 पर 11:06 AM
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निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस बनाए रखेंगे। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमें सर्विसेज के नए क्षेत्रों पर फोकस बनाए रखने की जरूरत है। सर्विस सेक्टर खासकर IT से जुड़े सेक्टर से हमें काफी फायदा हुआ है।

Union Budget 2023: अगले यूनियन बजट में मैन्युफैक्चरिंग पर सरकार का फोकस बना रहेगा। खुद फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस बारे में प्रमुख उद्योग चैंबर FICCI के एक कार्यक्रम में तस्वीर साफ करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इकोनॉमी की मजबूती के लिए मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस बनाए रखना जरूरी है। सरकार ने पिछले कुछ सालों में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने पर फोकस किया है। इसके लिए Production Linked Incentive (PLI) का ऐलान सरकार ने किया था। इंडस्ट्री के कई सेक्टर को इस स्कीम में शामिल किया गया है। सरकार धीरे-धीरे इस स्कीम का दायरा बढ़ा रही है।

रघुराम राजन ने सरकार की पॉलिसीज पर उठाए थे सवाल

पिछले हफ्ते फिक्की के कार्यक्रम में फाइनेंस मिनिस्टर ने मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने वाली सरकार की पॉलिसीज की आलोचना को खारिज कर दिया। दरअसल, RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की सरकार की पॉलिसी पर सवाल उठाए थे। हालांकि, सीतारमण ने अपनी स्पीच में राजन का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा, "अगर कुछ लोगों का मानना है कि इंडिया को मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस नहीं करना चाहिए, बल्कि सिर्फ सर्विसेज पर फोकस करना चाहिए तो मैं इसके लिए सॉरी कहती हूं। ऐसा नहीं होने वाला है।"


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सर्सिवसेज पर भी सरकार का फोकस बना रहेगा

फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा, "हम मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस बनाए रखेंगे। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमें सर्विसेज के नए क्षेत्रों पर फोकस बनाए रखने की जरूरत है। सर्विस सेक्टर खासकर IT से जुड़े सेक्टर से हमें काफी फायदा हुआ है। आज हमारी GDP में इसकी हिस्सेदारी 60 फीसदी हो गई है। लेकिन, हमारे लिए मैन्युफैक्चरिंग को मजबूती देना भी जरूरी है।"

रघुराम राजन ने सर्विसेज पर खर्च बढ़ाने की राय दी थी

पिछले हफ्ते की शुरुआत में रघुराम राजन ने एक सहयोगी के साथ मिलकर एक अखबार में कॉलम लिखा था। इसकी हेडलाइन थी 'सभी नौकरियां कहां चली गई हैं?' इसमें कहा गया था कि इंडिया सिर्फ एक विकासशील देश बना रह सकता है, जो अपने लोगों को कृषि की तरफ लौटता देख रहा है। इस कॉलम में रोजगार के मौके पैदा करने की सरकार की कोशिश पर सवाल उठाए गए थे।

इस कॉलम में लिखा गया था, "मिनिस्टर चंद्रशेखरजी ने लिखा है कि सरकार की PLI स्कीम के तहत अगले पांच साल में 8 लाख नौकरियों के मौके पैदा होंगे। यह देखते हुए कि कैपिटल इनटेंसिव इंडस्ट्रीज के लिए इतनी ज्यादा सब्सिडी खर्च की जा रही है, यह आंकड़ा बहुत ज्यादा दिखता है। इसके अलावा सरकारी सब्सिडी पर 2 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इसका मतलब है कि प्रत्येक नौकरी के मौके के लिए 25 लाख रुपये खर्च होंगे। किसी भी पैमाने से यह हर एक जॉब के लिए बहुत ज्यादा सब्सिडी है।"

मैन्युफैक्चरिंग में आई है कमी

स्टैटिस्टिक्स मिनिस्ट्री के लेटेस्ट नेशनल अकाउंट्स डेटा के मुताबिक, जुलाई-सितंबर के दौरान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 4.3 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि सर्विस सेक्टर 9 फीसदी बढ़ा है। रघुराम राजन पिछले हफ्ते अखबार में लिखे अपने कॉलम से पहले भी PLI स्कीम पर सरकार के खर्च पर सवाल उठा चुके हैं। अक्टूबर के आखिर में IIM-अहमदाबाद में स्टूडेंट्स के साथ बातचीत में उन्होंने कहा था कि सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को सब्सिडी पर जो पैसे खर्च कर रही हैं, अगर उसे सर्विसेज पर खर्च किया जाता तो रोजगार के ज्यादा मौके पैदा हो सकते थे।

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