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Union Budget 2023 : ज्यादा खर्च के लिए टैक्स कलेक्शन से मिलेंगे पैसे, अतिरिक्त कर्ज नहीं लेंगे, निर्मला सीतारमण ने जताई उम्मीद

Union Budget 2023: फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि आज इंडियन इकोनॉमी की सेहत दुनिया की दूसरी बड़ी इकोनॉमी से इसलिए अच्छी है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड के दौरान राहत देने का तुरंत फैसला लिया। इससे आज इंडिया पर दूसरे देशों की तरह मंदी का खतरा नहीं मंडरा रहा है

अपडेटेड Dec 21, 2022 पर 5:14 PM
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वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने कहा कि टैक्स कलेक्शन ज्यादा रहने से सरकार को अतिरिक्त खर्च को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसे मिल जाएंगे।

Union Budget 2023: सरकार का टैक्स कलेक्शन इस साल अब तक बहुत अच्छा रहा है। इसलिए सरकार को अतिरिक्त खर्च करने के लिए ज्यादा उधार लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने ये बातें कही हैं। उन्होंने 21 दिसंबर (बुधवार) को राज्यसभा को यह जानकारी दी। अनुदान के लिए पूरक मांग पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बाजार से ज्यादा उधार नहीं लेगी। सरकार ने 3.26 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च के लिए अनुदान के वास्ते पहली पूरक मांग का विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) पेश किया था। राज्य सरकार ने पारित करने के बाद इसे लोकसभा को भेज दिया। वित्त मंत्री के इस बयान से यह माना जा रहा है कि सरकार अगले वित्त वर्ष में बाजार से कम पैसे उधार लेगी।

सरकार के कर्ज लेने के प्रोग्राम में बदलाव नहीं

फाइनेंस मिनिस्टर ने राज्य सरकार में कहा, "सरकार ने सितंबर में स्पष्ट कर दिया था कि हम उधार लेने के अपने प्लान में बदलाव करने नहीं जा रहे हैं... हमने अपने उधारी प्लान में बदलाव नहीं किया है। इसका मतलब है कि हमारी सोच बिल्कुल स्पष्ट है कि जो रेवेन्यू आ रहा है, वह हमारे अतिरिक्त खर्च को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा।" उन्होंने यह भी बताया कि अप्रैल-अक्टूबर के दौरान ग्रॉस टैक्स कलेक्शन पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 18 फीसदी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि हमने इस फाइनेंशियल ईयर के लिए जो अनुमान लगाया था, यह उससे काफी ज्यादा है।


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इंडिया की हालत दूसरे देशों से अच्छी

सीतारमण ने कहा, "इसलिए टैक्स कलेक्शन ज्यादा रहने से हमें यह भरोसा है कि हम ग्रांट्स के लिए सप्लमेंटरी डिमांड के लिए पैसे हासिल कर लेंगे।" इकोनॉमी से जुड़े सदस्यों के सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि राहत देने की सरकार की सोच की वजह से इंडिया संभवत: उन कुछ देशों में शामिल नहीं है, जो मंदी में प्रवेश कर रहे हैं। ग्लोबल इकोनॉमी और खासकर कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी का सामना कर रही हैं। मेरा मानना यह है कि इसकी वजह यह है कि उन देशों ने कोविड से उस तरह से नहीं निपटा जिस तरह से इंडिया ने निपटा। उनकी सोच थी कि लोगों के हाथ में पैसे देने चाहिए और इसके लिए नोट छापने चाहिए...

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सही समय पर राहत देने का फैसला लेने से हुआ फायदा

सीतारमण ने कहा, "अच्छी बात यह है कि प्रधानमंत्री ने कोविड के दौरान राहत देने का फैसला किया। समस्या से जुड़े लोगों की समस्याएं जानने की कोशिश की गई। उन्हें दूर करने की कोशिश की गई। टारगेट को ध्यान में रखकर सही कदम उठाने से हमारी इकोनॉमी रिकवरी के रास्ते पर है जबकि दूसरे देश मंदी में जा रहे हैं। वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि इंडिया की इकोनॉमी की बुनियादी स्थिति आज उस हालात से बेहतर हैं, जब हम आर्थिक पैकेज दे रहे थे।"

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