Union Budget 2024 : कपड़ा निर्यातकों ने मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए टैक्स इनसेंटिव की मांग की

Budget 2024 : कपड़ा निर्यातकों का कहना है कि सरकार को उन अपैरल मैन्युफैक्चरर्स को टैक्स में रियायत देनी चाहिए, जो इनवायरमेंटल, सोशल और कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानकों का पालन करते हैं। उन्होंने भारत में बने उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग में सपोर्ट के लिए भी बजट में आवंटन की मांग की है

अपडेटेड Jan 27, 2024 पर 3:01 PM
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Budget 2024 : अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ने कहा है कि अभी कुछ ट्रिम्स और इमबेलिशमेंट आइटम्स को ड्यूटी से छूट नहीं मिलती है। उसने ऐसे आइटम्स की पूरी लिस्ट बताई है। इनमें ड्रॉ कॉर्ड, इलास्टिक बैंड/टेप, मेटल टैब/स्टॉपर/क्लिप, वेलक्रो टेप, लेदर बैज आदि शामिल हैं।

Interim Budget 2024 : कपड़ा निर्यातकों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ने सरकार से जीएसटी में समानता और इंटरेस्ट सब्सिडी बढ़ाए जाने की मांग की है। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPC) ने कहा है कि इससे देश में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही निर्यात को भी प्रोत्साहन मिलेगा। उसने कहा है कि सरकार को उन अपैरल मैन्युफैक्चरर्स को टैक्स में रियायत देनी चाहिए, जो इनवायरमेंटल, सोशल और कॉरपोरेट गवर्नेंस के मानकों का पालन करते हैं। उसने भारत में बने उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग में सपोर्ट के लिए भी बजट में आवंटन की मांग की है। काउंसिल का मानना है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को अंतरिम बजट (Interim Budget) में उसकी मांगें पूरी कर सकती हैं।

निर्यातकों को चाहिए कम इंटरेस्ट रेट पर पूंजी

काउंसिल ने कहा है कि प्री और पोस्ट शिपमेंट एक्सपोर्ट क्रेडिट पर इंटरेस्ट इक्विलाइजेशन स्कीम के तहत नॉन-एमएसएमई मैनुफैक्चरर्स के लिए इंटरेस्ट इक्विलाइजेशन रेट्स को 3 फीसदी से घटाकर 2 फीसदी कर दिया गया था। निर्यातकों के लिए ज्यादा इंटरेस्ट पर पूंजी जुटाने में दिक्कत आती है। निर्यातकों को कम इंटरेस्ट रेट पर पूंजी मिलने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी। काउंसिल ने यह भी कहा है कि मैन-मेड फाइबर (MMF) वैल्यू चेन (फाइबर, यार्न और फैब्रिक) के लिए जीएसटी की 5 फीसदी की एकसमान दर होनी चाहिए।


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जीएसटी से जुड़े मसलों का समाधान होना चाहिए

अभी फाइबर पर एमएमएफ जीएसटी रेट 18 फीसदी है। यार्न पर 12 फीसदी है और फैब्रिक पर 5 फीसदी है। इससे इनपुट क्रेडिट का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता है जिससे एमएसएमई यूनिट्स को लिक्विडिटी से जुड़े मसलों का सामना करना पड़ता है। काउंसिल ने सरकार से ट्रिमिंग्स और इमबेलिशमेंट को इंपोर्ट ऑफ गुड्स एट कनसेशनल रेट्स (IGCR) ड्यूटी रूल्स के तहत लाने की मांग की है। गारमेंट के एक्सपोर्ट्स में कई तरह की ट्रिमिंग्स और इमबेलिशमेंट्स की जरूरत पड़ती है।

ड्यूटी फ्री आइटम्स की लिस्ट बढ़ाई जाए

एईपीसी ने कहा है कि अभी कुछ ट्रिम्स और इमबेलिशमेंट आइटम्स को ड्यूटी से छूट नहीं मिलती है। उसने ऐसे आइटम्स की पूरी लिस्ट बताई है। इनमें ड्रॉ कॉर्ड, इलास्टिक बैंड/टेप, मेटल टैब/स्टॉपर/क्लिप, वेलक्रो टेप, लेदर बैज आदि शामिल हैं। काउंसिल ने कहा है कि सरकार को इन आइटम्स को ड्यूटी से छूट वाले आइटम्स की लिस्ट में शामिल करना चाहिए। इससे निर्यातकों को काफी मदद मिलेगी। उनकी प्रोडक्शन कॉस्ट में कमी आएगी। इससे उनके उत्पादों की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी।

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