Budget 2024 : साल 2020 में कोरोना वायरस ने करीब सभी देशों की इकोनॉमी को बड़ी चोट पहुंचाई। कई देशों को अपनी इकोनॉमी को सहारा देने के लिए कर्ज लेना पड़ा। इंडिया इस मामले में अपवाद नहीं था। इससे केंद्र और राज्यों सरकारों पर कर्ज का बोझ बहुत बढ़ गया। यह कर्ज 2020-21 में जीडीपी के 89.5 फीसदी तक पहुंच गया। एक साल पहले यह 75.3 फीसदी था। तब से ग्रोथ की रफ्तार बढ़ी है और कर्ज में कमी आई है। 2022-23 में इंडिया में सरकार का सामान्य कर्ज जीडीपी का 86.5 फीसदी था। प्रॉब्लम यह है कि मीडियम टर्म में इसमें कमी आने की उम्मीद नहीं दिखती। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने मई 2023 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अगले तीन साल में जनरल गवर्नमेंट डेट के जीडीपी के 85 फीसदी से नीचे जाने की उम्मीद है।
बजट 2024 में कर्ज में कमी लाने के उपायों का हो सकता है ऐलान
इंडिया के लिए अपने कर्ज में कमी लाना जरूरी है। इससे इंडिया की क्रेडिट रेटिंग बेहतर होगी। इससे इंडियन कंपनियों को सस्ते रेट पर कर्ज मिल सकेगा। एसएंडपी ने कहा है कि सरकार की खराब वित्तीय स्थिति और कर्ज का ज्यादा बोझ किसी देश के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। ऐसा नहीं है कि सरकार को स्थिति का गंभीरता का अंदाजा नहीं है। अक्टूबर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वित्तमंत्रालय सरकार के कर्ज के लेवल में कमी लाने के रास्तों पर विचार कर रहा है।
कर्ज घटाने के तरीकों पर अमल करने की जरूरत
सीतारमण ने कहा था कि इंडिया का कर्ज कई दूसरे देशों के जितना नहीं है। लेकिन हम इस मामले में दूसरे देश क्या कर रहे हैं, उस पर नजर रख रहे हैं। कर्ज को दो तरीकों से घटाया जा सकता है। पहला, कर्ज में किसी तरह की वृद्धि नहीं की जाए। इससे अबस्लूट टर्म में कर्ज में कमी आएगी। हालांकि, सरकार अपनी इनकम से ज्यादा खर्च करती है, जिससे यह तरीका इंडिया के लिए व्यावहारिक नहीं लगता।
इंडिया की नॉमिनल ग्रोथ सुस्त रही है
कर्ज में कमी लाने का दूसरा रास्ता यह है कि जीडीपी का नॉमिनल ग्रोथ बहुत ज्यादा हो। यहां प्रॉब्लम यह है कि इंडिया की रियल ग्रोथ को अनुमान से ज्यादा रही है लेकिन नामिनल ग्रोथ अनुमान के मुकाबले कम रही है। नामिनल ग्रोथ को जीडीपी से एडजस्ट करने के बाद रियल ग्रोथ का पता चलता है।