कॉमर्स एंव इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल और ब्रिटेन के बिजनेस और ट्रेड मिनिस्टर पीटर काइल के बीच 8 अक्टूबर को मुंबई में द्विपक्षीय बातचीत हुई। इसमें इंडिया-यूके के बीच ट्रेड और इनवेस्टमेंट पार्टनरशिप को लागू करने के रोडमैप पर चर्चा हुई। इस बारे में कॉमर्स मिनिस्ट्री ने एक स्टेटमेंट इश्यू किया। इसमें कहा गया है कि यह बातचीत इंडिया-यूके कम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (सीईटीए) लागू करने के बारे दिशा में बड़ा कदम है।
दोनों देश फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को जल्द लागू करना चाहते हैं
इस स्टेटमेंट में कहा गया है कि दोनों ही मंत्रियों ने ज्वाइंट इकोनॉमिक एंड ट्रेंड कमेटी (JETCO) का इस्तेमाल ट्रेड एग्रीमेंट के इंप्लिमेंटेशन और डिलीवरी के लिए करने पर रजामंदी जताई। दोनों ही पक्षों ने CETA को लागू करने पर अपनी प्रतिबद्धता जताई। इसके लागू होने से दोनों देशों के बीच व्यापार की संभावनाओं का पूरा इस्तेमाल किया जा सकेगा। दोनों मंत्रियों की यह बैठक तब हुई जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भारत आए हैं।
ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर भारत की यात्रा पर हैं
स्टार्मर प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार भारत की यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने मुंबई में व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत में कहा कि वह भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को जितना जल्द हो सके उतना जल्द लागू करना चाहते हैं। स्टार्मर के साथ 100 सदस्यों का एक ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल भी आया है, जिसमें बिजनेस, एजुकेशन और संस्कृति से जुड़े लीडर्स शामिल हैं। इसका मकसद दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाना है।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के लागू होने में लग सकता है समय
स्टार्मर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल जुलाई में फ्री-ट्रेड एग्रीमेंट को हरी झंडी दिखाई थी। इससे पहले दोनों देशों के अधिकारियों के बीच इस एग्रीमेंट के लिए तीन साल तक बातचीत हुई थी। हालांकि, ब्रिटेन में एप्रूवल प्रोसेस को देखते हुए इस एग्रीमेंट के लागू होने में करीब एक साल का समय लग सकता है। मुंबई में 8 अक्टूबर को हुई बातचीत में गोयल और काइल ने ट्रेड एग्रीमेंट का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के तरीकों पर भी बातचीत की।
भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय व्यापार दोगुना करना चाहते हैं
भारत और ब्रिटेन 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर दोगुना करना चाहते हैं। दोनों मंत्रियों ने ग्लोबल ट्रेड और इकोनॉमिक आउटलुक को लेकर अपनी राय भी पेश की। उन्होंने ग्लोबल अनिश्चितता के बीच डायवर्सिफायड सप्लाई चेन बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया।