Budget 2024 : आम तौर पर सरकार अपनी इनकम का ज्यादा और अपने खर्च का कम अंदाजा लगाती है। इस वजह से उसे पैसे की तंगी का सामना करना पड़ता है। टैक्स कलेक्शन के मामले में अक्सर ऐसी समस्या देखने को मिलती है। इस मामले में एक टैक्स जो अपवाद है वह है सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT)। सरकार के अनुमान के उलट लगातार इसका टैक्स कलेक्शन उम्मीद से ज्यादा रहा है। शुरुआत में सरकार ने थोड़े समय के लिए इस टैक्स को लगाया था। लेकिन, अब यह सरकार के इनकम स्टेटमेंट का स्थायी हिस्सा बन गया है। वित्त वर्ष 20218-19 से अब तक ज्यादातर बार एसटीटी का कलेक्शन सरकार के अनुमान के मुकाबले ज्यादा रहा है। स्टॉक मार्केट्स लंबे समय से एसटीटी में राहत की मांग करता रहा है। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर सरकर इस टैक्स को हटा नहीं सकती तो कम से कम उसके रेट में कमी कर सकती है।
बजट 2024 : इस वित्त वर्ष में कलेक्शन अनुमान से ज्यादा रहने की उम्मीद
कोरोना की महामारी जिस साल शुरू हुई थी, उस साल स्टॉक मार्केट में बड़ा बदलाव देखने को मिला। स्टॉक मार्केट में पैसे लगाने वाले लोगों की संख्या में उछाल आया। लोगों ने शेयरों में निवेश से मुनाफा कमाए। इसका फायदा स्टॉक ब्रोकर्स को भी मिला। मार्केट में गतिविधियां बढ़ने का फायदा सरकार को भी रेवेन्यू में इजाफा के रूप में मिला। इस वित्त वर्ष में एसटीटी कलेक्शन बजट के अनुमान से ज्यादा रहने की उम्मीद है। इसकी वजह यह है कि इस वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में एसटीटी कलेक्शन कुल अनुमान के 50 फीसदी से ज्यादा हो गया था।
वित्त वर्ष 2021-22 में सबसे ज्यादा था कलेक्शन
हालांकि, स्टॉक मार्केट में तेजी और निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ने के बावजूद एसटीटी कलेक्शन में वित्त वर्ष 2021-22 के मुकाबले कमी आई है। इसकी बड़ी वजह ट्रेडिंग वॉल्यूम का कैश और फ्यूचर मार्केट से ऑप्शंस में शिफ्ट होना बताया जा रहा है। कैश और फ्यूचर सेगमेंट के मुकाबले ऑप्शंस में टैक्स का रेट कम है। पिछले दो-ढाई साल में निवेशकों की दिलचस्पी ऑप्शंस ट्रेडिंग में बढ़ी है। इनमें मार्केट में दाखिल होने वाले नए निवेशक भी शामिल हैं।
सरकार की इनकम का स्थायी हिस्सा बना
सूत्रों का कहना है कि सरकार ने एसटीटी पहले तो थोड़े समय के लिए लगाया था। लेकिन, इसमें लगातार अच्छी ग्रोथ को देखते हुए यह अब सरकार के राजस्व का स्थायी स्रोत बन गया है। हालांकि, स्टॉक मार्केट से जुड़े लोग इसे हटाने या इसमें कमी लाने की मांग पिछले कई सालों से कर रहे हैं। सरकार ने 2004 में फाइनेंस एक्ट के जरिए एसटीटी की शुरुआत की थी। यह एक तरह का फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन टैक्स है। यह स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हर सिक्योरिटी की खरीद और बिक्री पर लगता है।