Budget 2024 : इन शब्दों का मतलब जान लेने पर वित्तमंत्री के बजट भाषण को समझना हो जाएगा आसान

Budget 2024 : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में अलग-अलग मंत्रालयों के लिए आवंटन भी शामिल होंगे। वित्तमंत्री इकोनॉमी की सेहत बताने के लिए अहम आंकड़े पेश करेंगी। इसलिए अंतरिम बजट पेश होने से पहले आपके लिए कुछ ऐसे शब्दों का मतलब जान लेना जरूरी है, जिनका इस्तेमाल अक्सर इकोनॉमी, बिजनेस, टैक्स, उद्योग आदि में होता है

अपडेटेड Jan 17, 2024 पर 5:12 PM
Story continues below Advertisement
Budget 2024 : किसी सरकार के लिए उसकी राजकोषीय नीति बहुत अहम होती है। इसमें सरकार की इनकम और खर्च से जुड़ी चीजें आती हैं। अगर सरकार की इनकम अच्छी है तो उसे अपने खर्च को पूरा करने के लिए कम कर्ज लेना पड़ता है।

Union Budget 2024 : केंद्रीय बजट पेश होने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। वित्तमंत्री Nirmala Sitharaman 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगी। उन्होंने 7 दिसंबर को कहा था कि अंतरिम बजट होने के चलते इसमें बड़े ऐलान नहीं होंगे। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि चुनावी साल को देखते हुए सरकार हर वर्ग को थोड़ी राहत देने की कोशिश कर सकती है। इसके अलावा सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों के लिए आवंटन भी इस बजट में शामिल होंगे। वित्तमंत्री इकोनॉमी की सेहत बताने के लिए अहम आंकड़े पेश करेंगी। इसलिए बजट पेश होने से पहले आपके लिए कुछ ऐसे शब्दों का मतलब जान लेना जरूरी है, जिनका इस्तेमाल अक्सर इकोनॉमी, बिजनेस, टैक्स, उद्योग आदि में होता है। इससे जब आप 1 जनवरी को दिन में 11 बजे वित्तमंत्री का बजट भाषण सुनेंगे तो आपको उनकी बातें आसानी से समझ में आएंगी।

अंतरिम बजट 2024 को समझने में मददगार होंगे इन पांच शब्दों के मतलब

राजकोषीय नीति

किसी सरकार के लिए उसकी राजकोषीय नीति बहुत अहम होती है। इसमें सरकार की इनकम और खर्च से जुड़ी चीजें आती हैं। अगर सरकार की इनकम अच्छी है तो उसे अपने खर्च को पूरा करने के लिए कम कर्ज लेना पड़ता है। इनकम कम होने पर सरकार को ज्यादा कर्ज लेना पड़ता है। इसलिए सरकार की राजकोषीय स्थिति का बेहतर होना बहुत जरूरी है।


यह भी पढ़ें : Budget 2024 Expectations Live Updates: अब तक कौन-कौन प्रधानमंत्री पेश कर चुके हैं बजट, यहां जानिए पूरी डिटेल

राजकोषीय घाटा

राजकोषीय घाटा के अंग्रेजी में फिस्कल डेफिसिट कहते हैं। सरकार का खर्च उसकी आमदनी से ज्यादा रहने पर उसे कर्ज लेना पड़ता है। वह कितना कर्ज लेगी यह राजकोषीय घाटे से तय होता है। हर साल सरकार बजट में अगले वित्त वर्ष के लिए राजोकोषीय घाटे का अपना अनुमान पेश करती है। इस वित्त वर्ष के लिए सरकार ने राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया था।

डिसइनवेस्टमेंट

डिसइनवेस्टमेंट को हिन्दी में विनिवेश कहा जाता है। इसका मतलब सरकार के अपनी संपत्तियों को बेचने से है। आम तौर पर सरकार सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचती है। कई बार वह पूरी कंपनी को निजी हाथों में बेच देती है। इस प्रक्रिया को डिसइनवेस्टमेंट कहते हैं। सरकार हर साल यूनियन बजट में डिसइनवेस्टमें का टारगेट तय करती है।

यह भी पढ़ें : Budget 2024 : सस्ते घरों के लिए आवंटन बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये कर सकती हैं निर्मला सीतारमण

पूंजीगत खर्च

पूंजीगत खर्च को अंग्रेजी में कैपिटल एक्सपेंडिचर कहा जाता है। सरकार फिजिकल एसेट्स तैयार करने पर जो खर्च करती है, उसे पूंजीगत खर्च कहते हैं। इसके तहत इंफ्रास्ट्रक्चर-जैसे सड़क, एयरपोर्ट, स्कूल आदि पर होने वाला खर्च आता है। सरकार के पूंजीगत खर्च बढ़ाने से रोजगार को मौके बढ़ते हैं। आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं। इससे इकोनॉमी की ग्रोथ को सपोर्ट मिलता है।

राजस्व घाटा

इसे अग्रेजी में रेवेन्यू डेफिसिट कहते हैं। जब सरकार की इनकम अनुमान के मुकाबले कम रहती है तो उसे रेवेन्यू डेफिसिट कहते हैं। रेवेन्यू डेफिसिट की स्थिति में सरकार के पास पैसे की किल्लत हो जाती है। इसलिए उसे कर्ज लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है। सरकार वैसे तो हर साल कुछ कर्ज लेती है। लेकिन रेवेन्यू डेफिसिट की स्थिति में उसे ज्यादा कर्ज लेना पड़ता है।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।