Byju's News: अमेरिका की एक बैंकरप्सी कोर्ट ने बायजूस के फाउंडर बायजू रवींद्रन को करीब $107 करोड़ (करीब ₹9591 करोड़) का पेमेंट करने का आदेश दिया है। बायजू रवींद्रन कई बार पेशी और डॉक्यूमेट्स सौंपने के आदेशों का पालन करने में नाकाम रहे। इसके बाद अब डेलावेयर बैंकरप्सी कोर्ट के जज ब्रेंडन शैनन ने 20 नवंबर को उन्हें $107 करोड़ से अधिक पेमेंट करने का आदेश जारी किया। डिफॉल्ट जजमेंट के तहत उन्हें बायजूस की अमेरिकी वित्तीय इकाई बायजूज अल्फा (Byju’s Alpha) पैसों के गलत तरीके से लेन-देन और छिपाने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया गया है।
Byju’s Alpha से जुड़ा क्या है पूरा मामला?
बायजूज अल्फा वर्ष 2021 में डेलवेयर में स्पेशल-पर्पज वेईकल के रूप में बनी थी। इसे वैश्विक लेंडर्स के कंसोर्टियम से बायजूज के लिए करीब $120 करोड़ का टर्म लोन जुटाने और मैनेज करने के लिए बनाया गया। बायजूज अल्फा का कोई ऑपरेटिंग बिजनेस नहीं था और लोन के पैसों के इस्तेमाल के लिए एक होल्डिंग एंटिटी के तौर पर काम करता था। कोर्ट फाइलिंग्स के मुताबिक जिस $55.3 करोड़ का मामला कोर्ट में पहुंचा, वह इसी के जरिए ट्रांसफर हुआ था। यह पैसा मियामी के एक हेज फंड कैमशाफ्ट कैपिटल को भेजा गया। इसके बाद यह पैसा बायजूज और इससे जुड़ी अन्य एंटिटीज को ट्रांसफर किया गया। अदालत ने माना कि इनमें बायजूज रवींद्रन की इसे लेकर व्यक्तिगत भूमिका रही।
इस मामले की सुनवाई के बाद अपने आदेश में कोर्ट ने $107 करोड़ चुकाने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने रवींद्रन को अल्फा फंड्स का पूरा लेखा-जोखा पेश करने का निर्देश दिया है, जिसमें कैमशाफ्ट कैपिटल को भेजे गए $53.3 करोड़, उस निवेश से बनी लिमिटेड-पार्टनरशिप इंटेरेस्ट, बाकी पैसों के ट्रांसफर से जुड़ी डिटेल्स शामिल है। सुनवाई में सामने आया है कि कैमशॉफ्ट कैपिटल को को बायजूज अल्फा ने $53.3 करोड़ भेजा, जिसे फिर Inspilearn नाम की एक एंटिटी और फिर एक ऑफशोर ट्रस्ट को भेजी गई। इसके बदले में बायजूज अल्फा को कुछ नहीं मिला।
बायजूज के फाउंडर Byju Raveendran को तुरंत नहीं चुकाने हैं पूरे पैसे
कोर्ट ने बायजूज रवींद्रन ने $107 करोड़ से अधिक चुकाने का निर्देश दिया है। हालांकि इसे तुरंत नहीं देना है। अब क्रेडिटर्स यानी लेनदारों को उन जगहों पर एंफोर्सेमेंट्स एक्शंस यानी कानूनी कदम उठाने होंगे, जहां बायजू रवींद्रन की संपत्तियां मौजूद हैं और उन्हें स्थानीय अदालतों में डेलावेयर कोर्ट के निर्णय को मान्यता दिलानी होगी। हालांकि जब तक इसे अपील में पलटा नहीं जाता या आगे की कार्यवाही में बदला नहीं जाता, यह फैसला बाध्यकारी रहेगा।