एचआईवी, कैंसर, ट्रांसप्लांट मेडिसिन और हेमेटोलॉजी समेत कई गंभीर बीमारियों से जुड़े दवाओं के दाम जल्द ही सस्ते हो सकते हैं। सरकार की ओर से एक गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने लगभग 200 महत्वपूर्ण दवाओं पर कस्टम ड्यूटी घटाने की सिफारिश की है। न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। इस कदम से कैंसर समेत कई क्रॉनिक बीमारियों से पीड़ित मरीजों को बड़ी राहत मिल सकती है।
रिपोर्ट में कुछ ग्लोबल ब्लॉकबस्टर कैंसर दवाओं पर पूरी तरह से कस्टम ड्यूटी हटाने की भी सलाह दी गई है। इसमें पेम्ब्रोलिज़ुमैब (ब्रांड नेम Keytruda), ओसिमेर्टिनिब (ब्रांड नेम Tagrisso) और ट्रास्टुज़ुमैब डेरक्सटेकन (ब्रांड नेम Enhertu) दवाएं भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमात फेफड़ों के कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और दूसरे गंभीर कैंसर के इलाज में होता है। इन दवाओं एक डोज की कीमत लाखों रुपये तक होती हैं, जिससे आम मरीजों के लिए ये बेहद महंगी साबित होती हैं।
कौन-कौन है समिति में शामिल?
केवल कैंसर नहीं, ट्रांसप्लांट और डायग्नोस्टिक्स भी शामिल
पैनल की सिफारिशें सिर्फ कैंसर की दवाओं तक सीमित नहीं हैं। इसमें ट्रांसप्लांट मेडिसिन, एडवांस डायग्नोस्टिक किट्स, HIV और गंभीर संक्रमण की दवाएं भी शामिल हैं। इसके तहत एक दूसरी कैटेगरी बनाई गई है, जिसमें 74 दवाओं पर 5% कस्टम ड्यूटी लगाने का सुझाव है। इसमें हाइड्रॉक्सी यूरिया भी शामिल है, जिसका इस्तेमाल कैंसर और सिकल सेल एनीमिया के इलाज में होता है। एनॉक्सापैरिन (Enoxaparin) पर भी कस्टम ड्यूटी घटाकर 5% करने की सलाह दी गई है, जिसका इस्तेमाल खून के थक्के और डीप वेन थ्रोम्बोसिस के इलाज में होता है।
रेयर डिजीज के मरीजों को मिल सकती है बड़ी राहत
रिपोर्ट में एक खास सेक्शन रेयर डिजीज से पीड़ित मरीजों के लिए है, जिनके इलाज का खर्च कई बार करोड़ों में पहुंच जाता है। समिति ने 56 ऐसी दवाओं को कस्टम ड्यूटी से पूरी तरह से छूट देने सिफारिश की है। इसमें Zolgensma, Spinraza, Evrysdi, Cerezyme और Takhzyro शामिल हैं। इन दवाओं का एक कोर्स ही लाखों से करोड़ों रुपये में आता है, जिससे यह भारत के अधिकतर मरीजों की पहुंच से बाहर हो जाती हैं।
स्थायी समिति बनाने की सिफारिश
रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि DGHS के तहत एक स्थायी अंतर-विभागीय समिति बनाई जाए, जो समय-समय पर इस तरह की दवाओं की समीक्षा कर वित्त मंत्रालय को सिफारिश भेजे।
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