कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने बड़े ब्रॉडकास्टर्स और एडवर्टाइजिंग एजेंसियों के खिलाफ जांच शुरू की है। इन पर प्राइस-फिक्सिंग और डिस्काउंट में मिलीभगत का आरोप है। सीसीआई के अधिकारियों ने 18 मार्च को इस मामले में करीब 10 स्थानों पर छापे मारे हैं। इनमें ग्रुपएम और देंत्सू जैसी कई बड़ी एडवर्टाइजिंग एजेंसियों के ऑफिस शामिल हैं। इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (आईबीडीएफ) के ऑफिस पर भी छापे मारे गए हैं। यह ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है।
एजेंसियों के एग्जिक्यूटिव्स कुछ बताने को तैयार नहीं
एडवर्टाइजिंग सेक्टर में कथित प्राइस-फिक्सिंग की जांच के मामले में नाटकीय मोड़ ले लिया है। कई एजेंसियों के हेड और सीईओ इस बारे में पूछे गए सवाले का जवाब देने के लिए तैयार नहीं हैं। कई कोशिशों के बाद भी इन एजेंसियों के किसी सीईओ या सीनियर एग्जिक्यूटिव्स ने फोन नहीं उठाया। कुछ ने तो अपना फोन तक स्विच-ऑफ कर दिया। कुछ एजेंसियों में जांच की प्रक्रिया चल रही है और अधिकारियों से पूछताछ हो रही है। अभी यह नहीं पता है कि यह जांच किस दिशा में जाएगी।
इन एजेंसियों के ठिकानों पर मारे गए छापे
इस मसले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पुलिस अधिकारियों की एक टीम कुछ बड़ी एडवर्टाइजिंग एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों से पूछताछ करने के लिए आई है। इस टीम में सीसीआई के अधिकारी भी शामिल हैं। इन एजेंसियों में WPP, Omnicorn, Havas शामिल हैं। इसके अलावा इंडियन सोसायी ऑफ एडवर्टाइजर्स (ISA) और IBDF जैसी इंडस्ट्री बॉडीज भी सीसीआई के निशाने पर है। ऐसा लगता है कि इस जांच का फोकस प्राइस-फिक्सिंग पर है।
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शिकायत के बाद सीसीआई ने मारे छापे
सूत्रों का कहना है कि किसी बड़ी एडवर्टाइजिंग एजेंसी या किसी छोटी एजेंसी ने इस बारे में शिकायत की होगी। इस शिकायत के बाद यह जांच शुरू हुई होगी। स्थिति पर नजर रखने वाले लोगों का कहना है कि सीसीआई के छापे ऐड के रेट्स और डिस्काउंट प्रैक्टिसेज से जुड़े हैं। चूंकि इस मामले में शामिल एजेंसियां कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं, जिससे इस मामले को लेकर रहस्य बढ़ता जा रहा है। बताया जाता है कि मुंबई में ग्रुपएम के ऑफिस को सीसीआई अधिकारियों ने जांच के लिए सील कर दिया। बताया जाता है कि छापे में अधिकारियों को कई डॉक्युमेंट्स और डिजिटल सबूत मिले हैं।