भारी दिक्कतों से जूझ रहे वैश्विक बैंक क्रेडिट स्विस (Credit Suisse) ने स्विस सेंट्रल बैंक से 5400 करोड़ डॉलर (4.47 लाख करोड़ रुपये) का कर्ज लेने का फैसला किया है। एक दिन पहले शेयरों की भारी गिरावट से निवेशकों में घबराहट हो गई थी लेकिन अब लिक्विडिटी को मजबूत करने के लिए भारी-भरकम कर्ज लेने का फैसला किया है। इसका असर भी दिख रहा है और इसके शेयर आज 40 फीसदी तक चढ़ गए। इस स्विस बैंक के शेयरों में एक दिन पहले तब बिकवाली का दबाव दिखा जब इसके सबसे बड़े शेयरहोल्डर सऊदी नेशनल बैंक ने इसमें और पैसे डालने से इनकार कर दिया। हालांकि फिर जब स्विस सेंट्रल बैंक से इसे सपोर्ट मिला तो आज इसके शेयरों में उछाल दिख रहा है।
Credit Suisse को कैसे मिला कर्ज
क्रेडिट स्विस के शेयरों में भारी गिरावट के बाद निवेशकों का फोकस एशिया के केंद्रीय बैंकों और बाकी नियामकों पर हो गया कि वे बैंकिंग सिस्टम में कैसे भरोसा कायम रखते हैं। बुधवार को स्विस फाइनेंशनल रेगुलेटर FINMA और स्विस नेशनल बैंक ने निवेशकों की घबराहट दूर करने के लिए जॉइंट स्टेटमेंट जारी किया कि सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण बैंकों के लिए जो कैपिटल और लिक्विटिडी शर्तें हैं, उसे क्रेडिट स्विस पूरा करता है और उसे जरूरत पड़ने पर लोन मिल सकता है।
क्रेडिट स्विस ने इसका स्वागत किया है और आज दिन की शुरुआत में ही बयान जारी किया कि वह स्विस नेशनल बैंक से 5400 करोड़ डॉलर का कर्ज लेगा। केंद्रीय बैंक कोरोना महामारी जैसे संकट के समय में बैंकों को आमतौर पर मदद देते रहे हैं लेकिन 2008 के बाद से यह पहली बार है जब किसी बड़े वैश्विक बैंक को इस प्रकार की मदद मिली हो।
बढ़ती ब्याज दरों ने बढ़ाई दिक्कतें
रॉयटर्स को सूत्रों ने बताया कि क्रेडिट स्विस की स्थिति को देखते हुए अमेरिका के कुछ बड़े बैंकों ने इसमें अपने एक्सपोजर को पिछले कुछ महीने में इस प्रकार मैनेज किया है कि किसी भी रिस्क को मैनेज किया जा सके। वहीं यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने बैंकों से कांटैक्ट कर क्रेडिट स्विस में अपने एक्सपोजर को देखने को कहा है। अमेरिकी ट्रेजरी का कहना है कि वह क्रेडिट स्विस की स्थिति पर नजर रखे हुए है और बाकी वैश्विक बैंकों के भी संपर्क में है।
जानकारी के मुताबिक तेजी से बढ़ती ब्याज दरों के चलते कुछ कारोबारियों को कर्ज की किश्तें भरने में दिक्कतें आ रही हैं जिसके चलते बैंकों को घाटे की आशंका बढ़ गई। ट्रेडर्स का मानना है कि अब शायद फेडरल रिजर्व ब्याज दरों की बढ़ोतरी पर लगाम लगाए या शायद इसमें फिर कटौती करे। पिछले हफ्ते ही फेडरल रिजर्व ने इसमें बढ़ोतरी के संकेत दिए थे। सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के डूबने पर घबराहट और बढ़ी है।