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कंपनी के मुनाफे की रफ्तार से क्यों नहीं बढ़ती कर्मचारियों की सैलरी? नीलकंठ मिश्रा ने बताया गणित

सरकार के आर्थिक सर्वे में जिक्र किया गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में कॉरपोरेट प्रॉफि​टेबिलिटी 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, लेकिन सैलरी स्थिर रही। इसका सबसे ज्यादा असर मिडिल और लोअर इनकम वाले परिवारों पर पड़ा

अपडेटेड Mar 07, 2025 पर 11:26 PM
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नीलकंठ मिश्रा ने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में आय असमानता बढ़ सकती है, इससे पहले कि यह बेहतर हो।

कंपनियों को रिकॉर्ड मुनाफा होने के बावजूद, कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी नहीं हुई है। इस मसले ने पॉलिसीमेकर्स और अर्थशास्त्रियों का ध्यान खींचा है। देश के चीफ इकोनॉमिक एडवायजर (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने कारोबारों से लॉन्ग टर्म इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए सैलरी बढ़ाने की अपील की है। कंपनी का मुनाफा जिस रफ्तार से बढ़ता है, उस रफ्तार से सैलरी क्यों नहीं बढ़ती, इस पर एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के सदस्य नीलकंठ मिश्रा ने रोशनी डाली है।

मनीकंट्रोल ग्लोबल वेल्थ समिट 2025 में बोलते हुए, मिश्रा ने बताया कि यह अंतर केवल कंपनियों द्वारा अपने मुनाफे को साझा करने की अनिच्छा का नतीजा नहीं है, बल्कि स्ट्रक्चरल इकोनॉमिक फैक्टर्स से भी प्रेरित है। उन्होंने बताया कि आर्थिक विकास के इस चरण में, ज्यादातर अर्थव्यवस्थाएं बढ़ती असमानता का अनुभव करती हैं। उन्होंने कहा, "हमने श्रम बाजार का हिस्सा बनने की इच्छा रखने वाली महिलाओं की संख्या में अच्छी वृद्धि दर्ज की है। लेकिन हम जो नौकरियां उपलब्ध करा सकते हैं, उनकी संख्या केवल 1% या 2% की दर से ही बढ़ सकती है। और इसलिए, श्रम के पास बहुत ज्यादा प्राइसिंग पावर नहीं है।"

कंपनियां सैलरी बढ़ाने के बजाय बिजनेस के विस्तार में लगा रहीं ज्यादा पैसा


इस बीच पूंजी यानि कैपिटल की कमी बनी हुई है, जो इसे GDP ग्रोथ का एक प्रमुख चालक बनाती है। नतीजतन, कंपनियां वेतन बढ़ाने के बजाय अपने बिजनेस के विस्तार में अधिक निवेश कर रही हैं। मिश्रा ने आगे कहा, "इसलिए, अगर GDP 7% की दर से बढ़ती है, तो खपत केवल 4.5% की दर से बढ़ेगी। यह अंकगणित है, क्योंकि ज्यादातर गतिविधि इनवेस्टमेंट साइड पर हो रही है।"

सरकार के आर्थिक सर्वे में जिक्र किया गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 में कॉरपोरेट प्रॉफि​टेबिलिटी 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, लेकिन सैलरी स्थिर रही। इसका सबसे ज्यादा असर मिडिल और लोअर इनकम वाले परिवारों पर पड़ा।

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जल्दी खत्म नहीं होगी सैलरी में असमानता

मिश्रा ने बताया कि असमानता को कम करने के पिछले प्रयासों, जैसे कि बिजली, आवास और स्वच्छता तक पहुंच में सुधार, ने ओवरऑल इकोनॉमिक पार्टिसिपेशन को बढ़ावा देने में मदद की। अगला कदम सस्ती पूंजी तक पहुंच सुनिश्चित करना हो सकता है, जो इनकम में बड़े पैमाने पर वृद्धि को न्योता दे सकता है। हालांकि, सैलरी में असमानता के जल्दी खत्म होने की संभावना नहीं है और आने वाले वर्षों में आय असमानता बढ़ सकती है, इससे पहले कि यह बेहतर हो।

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First Published: Mar 07, 2025 9:13 PM

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