अदाणी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने अदाणी ग्रुप की धारावी पुनर्विकास परियोजना पर शुक्रवार 7 मार्च को रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि ग्रुप के सामने कुछ शर्तें जरूर रखी है। कोर्ट ने कहा कि अदाणी ग्रुप को दिया गया प्रोजेक्ट "अदालती आदेशों के अधीन" है। सुप्रीम कोर्ट ने सेशेल्स की सेकलिंक ग्रुप (SecLink Group) की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। सेकलिंक ग्रुप ने धारावी पुनर्विकास परियोजना का कॉन्ट्रैक्ट अदाणी ग्रुप को दिए जाने की प्रक्रिया में कथित "घोटाले" का आरोप लगाया था। ग्रुप का दावा है कि अदाणी ग्रुप को यह ठेका देने के लिए शर्तों में बदलाव किया गया।
याचिका में दावा किया गया था कि टेंडर की शर्तों को अदानी ग्रुप की कंपनी अदाणी प्रॉपर्टीज के पक्ष में बदल दिया गया था। सेकलिंक ने दावा किया कि अदाणी प्रॉपर्टीज की बोली 5,069 करोड़ रुपये की थी, जबकि सेकलिंक की बोली 7,200 करोड़ रुपये थी और वह बोली को आगे बढ़ाकर 8,640 करोड़ रुपये करने को तैयार थी, फिर भी उसे ठेके से बाहर कर दिया गया।
चूंकि सेंकलिंक ने 2018 में काफी बड़ी राशि के साथ सबसे ऊंची बोली लगाई थी। ऐसे में कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा कि क्या राज्य सरकार, टेंडर को रद्द करने की हकदार है और क्या सेकलिंक को बाहर करने के लिए शर्तों में फेरबदल किया गया था।
अदाणी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि धारावी पुनर्विकास का काम पहले ही शुरू हो चुका है। इस पर कोर्ट ने परियोजना को रोकने से इनकार कर दिया, लेकिन अदाणी को सभी पेमेंट्स के लिए एक सिंगल एस्क्रो अकाउंट में बनाने का निर्देश दिया, जिसमें सभी इनवॉयसेज शामिल हों। कोर्ट ने कहा कि वह एस्क्रो अकाउंट खोलने का आदेश इसलिए दे रही है ताकि अगर बाद में अदाणी ग्रुप के खिलाफ फैसला आए या परियोजना को अमान्य माना जाए, तो वित्तीय लेनदेन को ट्रैक किया जा सके और अगर जरूरत हो तो उसे रद्द किया जा सके।
सेकलिंक ग्रुप ने इस मामले में सबसे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने दिसंबर 2024 में अदाणी प्रॉपर्टीज को प्रोजेक्ट दिए जाने के फैसले को बरकरार रखा था। इसके बाद सेकलिंग ग्रुप ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
2018 में सेकलिंक 7,200 करोड़ रुपये की बोली के साथ सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस टेंडर रद्द कर दिया। बाद में राज्य सरकार ने 2022 में नए शर्तों के साथ एक नया टेंडर जारी किया और अदाणी प्रॉपर्टीज 5,069 रुपये करोड़ की बोली के साथ सबसे बड़ी बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी।
सेकलिंक ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में, टेंडर रद्द करने पर सवाल उठाया और 2018 में सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी होने का हवाला दिया। ग्रुप ने दलील दिया कि अदाणी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तें बदली गईं और इस बदलाव के पीछे "बाहरी कारण" थे।
सेकलिंक ने कोर्ट से कहा, "मैंने कभी किसी सरकार को पुनर्विकास के लिए कम पैसे मांगते नहीं देखा। अदाणी को रियायतें दी गई हैं। यह एक ऐसा घोटाला है जो अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देगा। 2018 में अडानी की 5,069 करोड़ रुपये की बोली के पक्ष में 7,200 करोड़ रुपये की बोली खारिज कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, हम अब अपनी बोली को और बढ़ाकर 8,640 करोड़ रुपये कर रहे हैं।"
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 मई को तय की है।