इंडोनेशिया से 2 लाख टन कच्चा पाम ऑयल भारत के लिए रवाना हो चुका है। इससे न सिर्फ देश में एडिबल्स ऑयल की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि आने वाले हफ्तों में इनकी कीमत में भी कमी आएगी। अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाम ऑयल के एक्सपोर्ट से बैन हटने के बाद बीते सोमवार को इंडोनेशिया से यह शिपमेंट रवाना हुआ और इस हफ्ते के अंत तक यह भारत पहुंच जाएगा। ऑयल ट्रेडर्स का अनुमान है कि रिटेल मार्केट में यह ऑयल 15 जून तक पहुंचेगा।
पाम ऑयल की कीमतें घटने से साबुन, मार्गरीन, शैंपू, बिस्किट और चॉकलेट कंपनियों की भी इनपुट लागत घटेगी क्योंकि इन सभी को बनाने में पाम ऑयल और इनके डेरिवेटिव का उपयोग होता है।
इंडोनेशिया ने अपने यहां कुकिंग ऑयल की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए बीते 28 अप्रैल को पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर अचानक बैन लगाकर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था। बाद में इसने बताया कि 23 मई से यह बैन वापस ले लिया जाएगा।
भारत हर साल करीब 1.3 करोड़ टन एडिबल ऑयल्स को विदेशों से खरीदता है। इसमें से करीब 80 से 85 लाख टन (करीब 63 फीसदी) पाम ऑयल होता है। इस पाम ऑयल में से करीब 45 फीसदी हर साल इंडोनेशिया से आता है, जबकि बाकी उसके पड़ोसी देश मलेशिया से भारत आता है।
एक ऑयल ट्रेडर्स ने बताया कि दुनिया भर में पिछले कुछ हफ्तों में एडिबल ऑयल्स के दाम में गिरावट आई है। लेकिन डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट के चलते भारतीय ग्राहकों को अभी तक इसका फायदा नहीं मिल सका है।
उन्होंने बताया, "हालांकि, देश में एडिबल ऑयल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। रूस और अर्जेंटीना से सनफ्लावर ऑल (सूरजमुखी तेल) की उपलब्धता में सुधार हुआ है और हम घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम हो रहे हैं।"
अगर एडिबल ऑयल की कीमतों में कुछ गिरावट आती है, तो इससे सरकार को भी राहत मिलेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि देश में खाने-पीने से जुड़ी चीजों और फ्यूल की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई रिकॉर्ड ऊंचे स्तर पर है। अप्रैल में फूड इंफ्लेशन की दर 8.38% थी, जो मार्च में 7.68 फीसदी थी।