Fiscal deficit : केंद्र सरकार ने सोमवार,21 जुलाई को कहा है कि वह वित्त वर्ष 2025-26 में भारत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.4 फीसदीपर बनाए रखेगी। तमाम ग्लोबल परेशानियों के बावजूद सरकार फिस्कल कंसोलीडेशन के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। 30 मई को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबित वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) में भारत का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 4.8 फीसदी रह गया,जो पिछले साल के 5.6 फीसदी से कम है।
लोकसभा में दिए गए लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि इस समय राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में बदलाव की कोई जरूरत महसूस नहीं हो रही है। यह लक्ष्य सही लग रहा है।
भारत अपनी विकास दर को बनाए रखने के लिए ढ़ांचागत सुधारों, उन्नत व्यापार सुविधा और लक्षित राजकोषीय सहायता पर भरोसा कर रहा है। हालांकि ग्लोबल सप्लाई चेन में व्यवधान, अस्थिर पूंजी प्रवाह और भू-राजनीतिक तनाव जैसे जोखिम अभी भी बने हुए हैं।
लॉन्ग टर्म में मजबूती बढ़ाने के लिए, केंद्र सरकार ने अपने "पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष सहायता" कार्यक्रम के तहत ₹1.5 ट्रिलियन के कैपिटल एक्सपेंडीचर की घोषणा की है। इस पहल के तहत राज्यों को बुनियादी ढांचे और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधारों के लिए ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाएगा, जिसमें बिजली और ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
सबके विकास की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए,सरकार राज्यों के सहयोग से एक खास ग्रामीण विकास कार्यक्रम (“Rural Prosperity and Resilience”) शुरू करने की योजना बना रही है। यह पहल ग्रामीण विकास रणनीतियों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में अल्प-रोज़गार की समस्या को दूर करने पर केंद्रित होगी, जिसका उद्देश्य स्थायी आजीविका के साधन पैदा करना है।