इंडिया में क्रिप्टोकरेंसी की मुश्किल कम होती नहीं दिख रही है। प्रमुख क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स पर 18 जुलाई को एक बड़ा साइबर हमला हुआ। बताया जाता है कि इस हमले से करीब 4.4 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है। कंपनी ने बताया है कि यह साइबर हमला एक इनटर्नल ऑपरेशनल वॉलेट तक सीमित रहा। इस हमले का यूजर के फंड्स पर असर नहीं पड़ेगा। कॉइनडीसीएक्स ने इस हमले की जांच शुरू कर दी है।
ग्राहकों के एसेट्स को कोई नुकसान नहीं
CoinDCX के को-फाउंडर और सीईओ सुमित गुप्ता ने साइबर हमले के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी है। उन्होंने कहा, "आज हमारे एक इनटर्नल ऑपरेशनल अकाउंट पर साइबर हमला हुआ। इस अकाउंट का इस्तेमाल सिर्फ एक पार्टनर एक्सचेंज के साथ लिक्विडिटी प्रोविजनिंग के लिए किया जाता है। मैं यह कनफर्म करता हूं कि कॉइनडीसीएक्स वॉलेट्स जिनका इस्तेमाल कस्टमर का एसेट रखने के लिए किया जाता है, उन पर कोई असर नहीं पड़ा है। वे पूरी तरह सुरक्षित हैं।"
सभी ट्रेडिंग एक्टिविटी सामान्य रूप से जारी
उन्होंने निवेशकों को आश्वस्त करते हुए यह भी कहा है कि सभी ट्रेडिंग एक्टिविटी और रुपये में विड्रॉल पूरी तरह से जारी है। उन्होंने कहा, "इस हमले के असर को तुरंत सीमित कर दिया गया। हमले का पता चलते ही प्रभावित ऑपरेशनल अकाउंट को अलग-थलग कर दिया गया। चूंकि हमारे ऑपरेशनल अकाउंट्स कस्टमर्स के वॉलेट्स से अलग हैं, जिससे हमले का असर सिर्फ इस खास अकाउंट तक सीमित है। इसकी भरपाई हम कर रहे हैं। इसके लिए हम अपने ट्रेजरी रिजर्व का इस्तेमाल कर रहे हैं।"
साइबर हमले की जांच की जा रही है
उन्होंने कहा, "हमारी इनटर्नल सिक्योरिटी और ऑपरेशंस टीम प्रमुख साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर मामले को देख रही है। इस मामले की जांच की जा रही है। हर तरह की कमजोरी को दूर करने और फंड के मूवमेंट का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।" यह साइबर हमला WazirX पर हुए हमले के ठीक एक साल बाद हुआ है। वजीरएक्स पर 18 जुलाई, 2024 को साइबर हमला हुआ था, जिसमें 23.5 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ था। कॉइनडीसीएक्स ने कहा है कि वह एसेट्स को ब्लॉक और रिकवर करने के लिए एक्सचेंज के पार्टनर के साथ मिलकर काम करेगा।
इंडिया में क्रिप्टोकरेंसी के लिए कोई नियम नहीं हैं
इस हमले से डिजिटल एसेट्स की सिक्योरिटी को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इंडिया में क्रिप्टोकरेंसी के लिए किसी तरह के नियम और कानून नहीं हैं। इसका मतलब है कि सरकार और रेगुलेटर्स की तरफ से क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों को किसी तरह की सुरक्षा हासिल नहीं है। किसी तरह के विवाद की स्थिति में शिकायतों का निपटारा कंज्यूमर प्रोटेक्शन कानून के तहत होता है। डेटा में सेंध या साइबर हमले की स्थिति में नुकसान होने पर भी कंज्यूमर प्रोटेक्शन कानून के तहत कार्रवाई होती है।
पहले से मौजूद नियमों के तहत की जा सकती है शिकायत
इंडियालॉ एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर शिजू पीवी ने कहा कि चूंकि क्रिप्टोकरेंसी इंडिया में किसी रेगुलेशन के तहत नहीं आते हैं, जिससे इनवेस्टर्स के पास सिर्फ पहले से मौजूदा कानूनों के तहत शिकायत करने का रास्ता है। इनमें इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट और आईटी एक्ट शामिल हैं। इनवेस्टर क्रिप्टो प्लेटफॉर्म के नियम और शर्तों के मुताबिक कोर्ट में अपने कॉन्ट्रैक्ट्स के राइट्स के तहत न्याय की मांग कर सकता है।