सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों के कैश ऑन डिलीवरी (सीओडी) ऑर्डर्स पर एक्स्ट्रा पैसे वसूलने के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। उसने इसे 'डार्क पैटर्न' प्रैक्टिस बताया है, जिसका मकसद ग्राहकों को भ्रमित करना और उनका शोषण करना है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस बारे में 3 अक्टूबर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है।
सरकार को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ मिली थीं शिकायतें
इस पोस्ट में कहा गया है, "डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर्स अफेयर्स को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। इनमें कहा गया है कि ये प्लेटफॉर्म्स डार्क पैटर्न कहे जाने वाले प्रैक्टिस के तहत ग्राहकों से एक्स्ट्रा पैसे वसूलते हैं। इससे ग्राहकों का शोषण होता है।" जोशी ने कहा कि इस बारे में एक व्यापक जांच शुरू की गई है। इस प्लेटफॉर्म्स की करीबी जांच के लिए कदम उठाए गए हैं।
नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
जोशी ने कहा कि उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। इंडिया में तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स सेक्टर में पारदर्शिता और फेयर प्रैक्टिस सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। मिनिस्ट्री ने यह कदम गलत प्रैक्टिस की शिकायतें मिलने के बाद उठाया है। खासकर ऑनलाइन कॉमर्स प्लेटफॉर्म के खिलाफ ज्यादा शिकायतें मिली थीं। इस साल की शुरुआत में भी उपभोक्ताओं की शिकायतें मिली थीं। इनमें कहा गया था कि कुछ प्लेटफॉर्म्स सीओडी ऑर्डर पर कैश हैंडलिंग चार्ज वसूल रहे हैं।
सरकार ने 13 डार्क पैटर्न्स की पहचान की है
जुलाई में ऐसा एक मामला सामने आया था। इसमें Zepto के यूजर्स ने इस प्रैक्टिस के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। उन्होंने कहा था कि यह प्लेटफॉर्म चेकप्वाइंट पर नॉन-ट्रांसपेरेंट चार्जेज लगाता है। इंडियन लॉ के तहत 13 डार्क पैटर्न की पहचान की गई है, यह उनमें से एक है। सरकार ने इस प्रैक्टिस की व्यापक जांच को जरूरी समझा। डार्क पैटर्न के तहत ग्राहकों के व्यवहार को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है। इसका मकसद कंपनी को फायदा पहुंचाना होता है।
ऐसे ग्राहकों को जाल में फंसाती हैं कंपनियां
डार्क पैटर्न के तहत कई चीजें आती हैं। इनमें विजुल ट्रिक्स, कन्फ्यूजिंग लैंग्वेज और छुपी हुई सेटिंग्स शामिल होती है। यूजर्स आसानी से इन ट्रिक्स के जाल में फंस जाता है। वह ज्यादा पैसे खर्च करता है, अपना पर्सनल डेटा शेयर करता है और ऐसी शर्तों को मंजूर कर लेता है, जिसका मतलब वह ठीक से नहीं समझता है। उदाहरण के लिए ई-कॉमर्स कंपनियां सबसे अंत तक डिलीवरी फीस को छुपा कर रखती हैं। कई बार पहले से बॉक्स को सेलेक्ट किया गया होता है। कई बार यह लिखा हुआ दिखता है 'only one item left'।