भारतीय एयरलाइन गो फर्स्ट (Go First) ने मंगलवार 2 मई को खुद के दिवालिया होने का आवेदन दाखिल कर दिया। एयरलाइन ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) के पास स्वैच्छिक दिवालिया प्रक्रिया के लिए आवेदन दिया है। वाडिया ग्रुप के स्वामित्व वाली Go First ने एक बयान में यह जानकारी दी। इसके ठीक पहले एयरलाइन ने 'भारी नकदी संकट' के चलते आगामी 3 मई और 4 मई को अपनी सभी उड़ानों को रद्द करने का ऐलान किया था। Go First के सीईओ कौशिश खोना ने बताया कि जब NCLT उसके आवेदन को स्वीकार कर लेगी, उसके बाद ही उड़ानें फिर से शुरू होंगी।
वित्तीय संकट में कैसे पहुंची Go First?
Go First ने एक बयान में कहा कि उसे मजबूरी में NCLT के पास दिवालिया समाधान प्रक्रिया के लिए जाना पड़ा है। इसके पीछे मुख्य वजह प्रैट एंड व्हिटनी (Pratt & Whitney) की ओर से विमानों के इंजन की सप्लाई नहीं किया जाना है। साथ ही उसने Pratt & Whitney (P&W) पर इंजनों की मरम्मत और कलपुर्जे भी मुहैया नहीं कराने का आरोप लगाया।
गो फर्स्ट ने कहा, "इंजन की समस्या बनी रहने से हमारे करीब 50 प्रतिशत विमान खड़े हो चुके हैं। इसके अलावा कारोबारी लागत दोगुनी होने से भी गो फर्स्ट को 10,800 करोड़ रुपये की आमदनी गंवानी पड़ी है।’’
एयरलाइन ने कहा कि मौजूदा हालात में कंपनी अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा कर पाने की स्थिति में नहीं रह गई है। इसलिए उसने NCLT के सामने अर्जी लगाई गई है। उसने इनसॉल्वेंसी एंड बैकरप्सी कोड के सेक्शन 10 के तहत किए गए आवेदन को सभी हितधारकों के हित में उठाया गया कदम बताया।
गो फर्स्ट ने कहा कि प्रमोटरों की तरफ से एयरलाइन में अबतक 6,500 करोड़ रुपये की पूंजी डाली गई है। इसमें से 2,400 करोड़ रुपये पिछले 24 महीनों में लगाए गए। अकेले अप्रैल 2023 में ही प्रमोटर ग्रुप ने 290 करोड़ रुपये इस एयरलाइन में लगाए हैं।