GST में रजिस्टर्ड फर्जी कंपनियों और गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के दावों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक नई पहल की है। CBIC के चेयरमैन विवेक जोहरी ने कहा, केंद्र सरकार सभी कंपनियों के एड्रेस के लिए जियोटैगिंग को अनिवार्य बनाने की योजना बना रही है। इसके साथ ही जो कंपनियां रिस्की होंगी उनके लिए बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन भी जरूरी बना दिया जाएगा।
GST के 6 साल पूरा होने पर जोहरी ने सरकार के इस प्लान के बारे में बताया है। जोहरी ने कहा, "हम GST सिस्टम को सख्त बनाने की कोशिश कर रहे हैं। नई कंपनियों के रिजस्ट्रेशन के समय वेरिफिकेशन प्रक्रिया को और मजबूत बनाया जाएगा। अभी आधार और PAN के साथ OTP के जरिए किसी शख्स की पहचान की जाती है। नई प्रक्रिया में जोखिम वाली कंपनियों का वेरफिकेशन बायोमीट्रिक के जरिए होगा। जबकि जिस शख्स को संदिग्ध माना जाएगा उनके केस में भी बायोमीट्रिक ऑथेंटिकेशन किया जाएगा।"
GST में रजिस्टर्ड कई कंपनियों का एड्रेस गलत है। कई कंपनियां फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम करती हैं जिससे सरकार को नुकसान उठाना पड़ रहा है। GST को सरकार ने पहली बार 1 जुलाई 2017 को लागू किया था।
जोहरी ने कहा, "हमने पायलट प्रोग्राम के तहत 2-3 राज्यों में कंपनियों के एड्रेस को जियो टैग करना शुरू कर दिया है ताकि एग्जैक्ट लोकेशन का पता चल सके। पहले हमें पता चला कि कुछ ऑफिस प्लेस बस वेरिफिकेशन के लिए क्रियेट किए गए थे। जबकि बाद में उनके ऑफिस वहां से हट गए थे। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जियो टैगिंग शुरू की जा रही है।"
पायलट प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरतों पर काम किया जाएगा। दिल्ली में हुए 49वें GST की बैठक में जियो टैगिंग पर सहमति बनी थी।