SEBI action in Golden Tobacco Case: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने गोल्डन टोबैको लिमिटेड (GTL) से जुड़े मामले में एक नया आदेश पारित किया है। यह आदेश वर्षों से पैसों के गलत इस्तेमाल और वित्तीय खुलासों में हेराफेरी से जुड़े मामले में आया है। इस आदेश के तहत सेबी ने जीटीएल के प्रमोटर संजय डालमिया को दो साल के लिए सिक्योरिटीज मार्केट से प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा PFUTP (प्रॉहिबिशन ऑफ फ्रॉडलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज) रेगुलेशंस और LODR (लिस्टिंग ऑब्लिगेशंस एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स) रेगुलेशंस के तहत ₹30 लाख का जुर्माना लगाया है। यह आदेश कंपनी और इसके प्रमुख अधिकारियों की तरफ से एसेट्स की हेराफेरी, गलत जानकारी देने और खुलासों में चूक के आरोपों की विस्तृत जांच के बाद शुक्रवार को जारी हुआ था।
संजय डालमिया के अलावा इसके और प्रमोटर और डायरेक्टर अनुराग डालमिया की भी सिक्योरिटीज मार्केट में डेढ़ साल तक एंट्री पर बैन लग गया है और ₹20 लाख का जुर्माना लगा है। इसके अलावा जीटीएल के पूर्व निदेशक अशोक कुमार जोशी को एक साल के लिए सिक्योरिटीज मार्केट से बैन किया गया है और ₹10 लाख का जुर्माना लगाया गया है। सेबी ने इससे पहले भी अनुराग डालमिया, संजय डालमिया के खिलाफ 25 अक्टूबर 2013 और अन्य के खिलाफ 14 फरवरी 2014 को आदेश पारित किया था।
क्या है Golden Tobacco Case?
सेबी के आदेश के मुताबिक जीटीएल ने वित्त वर्ष 2010 से वित्त वर्ष 2015 के दौरान अपनी सहायक कंपनी जीआरआईएल को लोन और एडवांस के रूप में में ₹175.17 करोड़ दिए और अपनी सालाना रिपोर्टों में इसे बकाया दिखाया है। सेबी का आरोप है कि इसमें से सिर्फ ₹36 करोड़ ही वापस आए और बाकी फंड्स जीआरआईएल से प्रमोटर से जुड़ी कंपनियों को भेज दिया गया। सेबी का आरोप है कि जीटीएल के प्रमोटर्स और डायरेक्टर्स शेयरहोल्डर्स को बिना बताए कंपनी की अहम जमीनों को लेकर सौदे किए। इसके तहत जमीन को किसी तीसरे पक्ष को बिक्री पर देना या पट्टे पर देने की बात थी जोकि या तो कंपनी के लिए पूरी तरह से फायदे की बात नहीं थी या स्टॉक एक्सचेंजों को भी पारदर्शी तरीके से नहीं बताई गई।
सेबी के आदेश के मुताबिक प्रमोटर एंटिटीज के बीच पैसों के लेन-देन से उन्हें फायदा मिला। हालांकि सेबी का यह भी कहना है कि मौजूदा कार्रवाई में जीटीएल कोई एक पक्ष नहीं है और न ही प्रमोटर से जुड़ी कंपनियां तो इस मामले में जीटीएल या प्रमोटर से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ कोई आदेश नहीं जारी किया जा सकता है।
कभी पनामा (Panama) और चांसलर (Chancellor) जैसे सिगरेट ब्रांड्स के लिए मशहूर जीटीएल में पिछले कुछ वर्षों में बड़े बदलाव हुए हैं। अब इसकी मुंबई और दिल्ली में अहम रियल एस्टेट होल्डिंग्स है। वर्ष 2022 में अहमदाबाद की नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने इसके खिलाफ कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) शुरू करने का आदेश दिया और इसके बाद कंपनी दिवालिएपन की स्थिति में चली गई।