Haldiram & Bikaji: दिलचस्प है अग्रवाल ब्रदर्स की कहानी, जिनका देश के 50% से ज्यादा नमकीन बाजार पर कब्जा है
अभी हल्दीराम के दिल्ली के बिजनेस को मनोहरलाल और मधुसूदन अग्रवाल चलाते हैं। नागपुर बिजनेस को शिव किशन अग्रवाल चलाते हैं। बीकानेर का बिजनेस शिव रतन अग्रवाल के जिम्मे है। कोलकाता का बिजनेस रामेश्वरलाल के बेटे प्रभु अग्रवाल के जिम्मे है
फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में हल्दीराम की दोनों कंपनियों का कंबाइंड रेवेन्यू करीब 9000 करोड़ रुपये था।
Haldiram & Bikaji: Bikaji की लिस्टिंग के एक हफ्ते बाद कंपनी के प्रमोटर के शिव रतन अग्रवाल के भाइयों ने भी IPO का प्लान बनाना शुरू कर दिया है। सीएनबीसी-टीवी18 को मिली जानकारी के मुताबिक, वे अगले 18 महीने में आईपीओ पेश कर सकते हैं। ये इंडिया में स्नैक के सबसे बड़े ब्रांड हल्दीराम्स (Haldiram's) के मालिक हैं। ये दिल्ली और नागपुर के अपने बिजनेस का विलय कर रहे हैं। इसका मकसद हल्दीराम्स को इंडिया में और मजबूत बनाना है। नागपुर की हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल (Haldiram Foods International) को सबसे बड़े भाई शिव किशन अग्रवाल चलाते हैं। दिल्ली की हल्दीराम स्नैक्स को छोटे भाई मनोहर अग्रवाल और मधुसूदन अग्रवाल चलाते हैं। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं होगा कि अभी हल्दीराम की दो कंपनियां है। इसके अलावा बीकाजी और हल्दीराम के मालिक भाई हैं।
बीकानेर की भुजिया देशभर में छा गई
गंगा बिशन अग्रवाल जब 11 साल के थे, तब उन्होंने पिता के भुजिया बिजनेस में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था। उनका उपनाम (nickname) हल्दीराम था। बीकानेर की भुजिया मशूहर थी। इसे चने के आटा या बेसन से बनाया जाता था। लेकिन, गंगा बिशन ने थोड़ा अलग तरह से भुजिया बनाने का फैसला किया। यह थोड़ी पतली थी, जिसे बेसन की जगह मोठ आटे से बनाया जाता था। उनका यह प्रयोग सफल रहा। दिन-ब-दिन हल्दीराम का कारोबार बढ़ता गया। फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में हल्दीराम की दोनों कंपनियों का कंबाइंड रेवेन्यू करीब 9000 करोड़ रुपये था।
गंगा बिशन अग्रवाल ने कोलकाता में शुरू किया नया बिजनेस
गंगा बिशन के तीन बेटे थे-मूलचंद, सत्यनारायण और रमेश्वरलाल। मूलचंद के चार बेटे और एक बेटी अभी स्नैक की अलग-अलग कंपनियां चला रहे हैं। गंगा बिशन अपने बेटे सत्यनारायण और रामेश्वरलाला के साथ 1950 के दशक में कोलकाता आ गए। उन्होंने 'हल्दीराम भुजियावाला' ब्रांड शुरू किया। उनके साथ गंगा बिशन के सबसे बड़े पोते शिव किशन भी हैं।
कोलकाता में बिजनेस को सफल बनाने के बाद बीकानेर लौट गए गंगा बिशन
पवित्र कुमार ने 2016 में एक किताब लिखी थी। इसका नाम है-Bhujia Barons: The Untold Story of How Haldiram Built a Rs 5000-crore Empire। इस किताब के मुताबिक, मूलचंद, उनकी पत्नी और तीन बेटे बीकानेर की दुकान चलाते थे। इधर, कोलकाता में उनका बिजनेस की ग्रोथ बहुत तेजी रही। इसके प्रोडक्ट्स में पारंपरिक भुजिया के अलावा और कई चीजें जुड़ गईं।
गंगा बिशन 1960 के दशक में बिकानेर लौट आए। उन्होंने कोलकाता का कारोबार रामेश्वरलाला और सत्यनारायण के जिम्मे छोड़ दिया। उसके बाद सत्यनारायण ने परिवार से अलग होकर 'हल्दीराम एंड संस' शुरू की। लेकिन, उन्हें अपने पिता जैसी कामयाबी हासिल नहीं हुई। रामेश्वरलाल भी अपने भाई मूलचंद से अलग हो गए। इस तरह कोलकाता और बीकानेर का कारोबार अलग-अलग हाथों में चला गया।
1984 में दिल्ली में हुई हल्दीराम की शुरुआत
1980 के दशक में शिव किशन अग्रवाल और उनकी बहन सरस्वती ने महाराष्ट्र में अपना कारोबार बढ़ाना शुरू किया। मूलचंद के सबसे छोटे बेटों मनोहरलाल और मधुसूदन ने 1984 में दिल्ली में हल्दीराम की शुरुआत की। इस तरह हल्दीराम ब्रांड का विस्तार एक राज्य से कई राज्यों में हो गया। बाद में यह विदेश में भी पहुंच गया। मूलचंद के बेटे शिव रतन ने बीकानेर के बिजनेस को संभालना शुरू किया। उन्होंने इसे बीकाजी का हिस्सा बनाया। कुछ हफ्ते पहले इसकी बीकाजी ने आईपीओ पेश किया था।
सालों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद भाइयों के बीच खत्म हुआ विवाद
हल्दीराम के भाइयों का अपने चचेरे भाई प्रभु के साथ लंबी कानूनी लड़ाई चली आ रही है। इसकी शुरुआत 1990 के दशक की शुरुआत में हुई थी। लड़ाई 'हल्दीराम भुजियावाला' ब्रांड के इस्तेमाल को लेकर है। इसी लड़ाई की वजह से दिल्ली वाले कारोबार को अपना नाम बदलकर 'हल्दीराम्स' करना पड़ा। दशकों तक चली यह लड़ाई 2010 में आकर तब खत्म हुई, जब प्रभु और उनके भाई पर दिल्ली में 'हल्दीराम्स' या 'हल्दीराम' के इस्तेमाल पर रोक लग गई।
अभी कौन सा बिजनेस किसके जिम्मे?
अभी हल्दीराम के दिल्ली के बिजनेस को मनोहरलाल और मधुसूदन अग्रवाल चलाते हैं। नागपुर बिजनेस को शिव किशन अग्रवाल चलाते हैं। बीकानेर का बिजनेस शिव रतन अग्रवाल के जिम्मे है। कोलकाता का बिजनेस रामेश्वरलाल के बेटे प्रभु अग्रवाल के जिम्मे है। ये सभी बिजनेसेज अलग-अलग कंपनी के रूप में चलाए जाते हैं। इनमें रेवेन्यू के लिहाज से दिल्ली की कंपनी सबसे बड़ी है। इसका रेवेन्यू करीब 5000 करोड़ रुपये है। इसके बाद कोलकाता का बिजनेस आता है। इसका रेवेन्यू 4000 करोड़ रुपये है। बीकानेर बिजनेस का रेवेन्यू 1,600 करोड़ रुपये है।
18 महीने में आएगा हल्दीराम का आईपीओ
बीकाजी की शेयर बाजार में लिस्टिंग के बाद तीनों भाई अब अपने कारोबार का विलय कर अगले 18 महीनों में हल्दीराम का आईपीओ पेश करने का प्लान बना रहे हैं।