भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर आउटपुट अगस्त 2025 में तेज हुआ। आठ कोर इंडस्ट्रीज ने सालाना आधार पर 6.3% की ग्रोथ दर्ज की, जबकि जुलाई में यह दर 3.7% थी। स्टील अगस्त में सबसे मजबूत सेक्टर रहा, जिसकी ग्रोथ 14.2% रही। हालांकि यह जुलाई के 16.6% से थोड़ी कम है। कोयला उत्पादन में भी 11.4% की उछाल आई, जो पिछले साल की गिरावट के बाद बड़ी रिकवरी है।
सीमेंट, उर्वरक और बिजली में सुधार
सीमेंट उत्पादन 6.1% बढ़ा, हालांकि जुलाई की डबल-डिजिट ग्रोथ से कमजोर रहा। उर्वरक उत्पादन 4.6% बढ़ा। बिजली उत्पादन में 3.1% की बढ़ोतरी हुई और रिफाइनरी प्रोडक्ट्स में 3% का इजाफा दर्ज हुआ।
हालांकि, क्रूड ऑयल और गैस में कमजोरी बरकरार रही। क्रूड ऑयल उत्पादन अगस्त में भी गिरकर 1.2% घटा। नैचुरल गैस उत्पादन 2.2% घटा। अप्रैल से अगस्त की अवधि में दोनों सेक्टर लगातार संघर्ष कर रहे हैं। इससे भारत के अपस्ट्रीम एनर्जी सेक्टर की चुनौतियां साफ झलकती हैं।
इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन पर असर
आठ कोर इंडस्ट्रीज (ICI) ने अप्रैल-अगस्त 2025-26 के दौरान 2.8% की कुल ग्रोथ दर्ज की। ये इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) का 40.27% हिस्सा है। यह धीमी लेकिन स्थिर रिकवरी का संकेत है।
अगस्त की रिकवरी भारत की औद्योगिक गतिविधियों के लिए अच्छा संकेत है। स्टील और कोयला सेक्टर की मजबूती बाजार को सहारा दे रही है। हालांकि एनर्जी सेक्टर की कमजोरी अब भी बड़ी चुनौती बनी हुई है।
कोर सेक्टर यानी देश की आठ सबसे अहम इंडस्ट्रीज- कोयला, कच्चा तेल, गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, बिजली, स्टील, सीमेंट और उर्वरक। इन्हें 'कोर' इसलिए कहा जाता है क्योंकि बाकी इंडस्ट्रीज और पूरी अर्थव्यवस्था इन पर काफी निर्भर रहती हैं।
जैसे स्टील और सीमेंट से बिल्डिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर बनते हैं। कोयला और बिजली से फैक्ट्रियां और घर चलते हैं, और पेट्रोल-डीजल जैसी चीजें ट्रांसपोर्ट और इंडस्ट्री के लिए जरूरी हैं। वहीं, उर्वरक खेती का हाल बताता है।
कोर सेक्टर की ग्रोथ बताती है कि इंडस्ट्रियल और आर्थिक गतिविधियां कैसी चल रही हैं। अगर ये सेक्टर तेजी से बढ़ रहे हैं तो मतलब उत्पादन, खपत और निवेश बढ़ रहे हैं, जिससे रोजगार और विकास को बढ़ावा मिलेगा।
अगर इनमें गिरावट आती है तो यह इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और जीडीपी पर असर डाल सकती है। इसलिए कोर सेक्टर को अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है।