देश का फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि तक 5.41 लाख करोड़ रुपये रहा, जो इस वित्त वर्ष के कुल लक्ष्य का 32.6 फीसदी है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 31.1 फीसदी था। फिस्कल डेफिसिट सरकार की कुल कमाई और उसके कुल खर्च के बीच के अंतर और सरकार के बाजार से लिए गए कर्ज की स्थिति को बताता है। फिस्कल डेफिसिट को राजकोषीय घाटा भी कहते हैं।
सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान सरकार की नेट टैक्स रिसिप्ट्स बढ़कर 8.48 लाख करोड़ रुपये। यह वित्त वर्ष 2023 के कुल बजट अनुमान का 37.2 फीसदी है। जो पिछले साल की इसी अवधि नेट टैक्स रिसिप्ट्स 8.09 करोड़ रुपये रहा था और यह कुल बजटीय अनुमान का 40.9 फीसदी था।
टैक्स कलेक्शन इस वित्त वर्ष में अभी तक 7 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कुल बजटीय अनुमान का 36.2 फीसदी है।
केंद्र सरकार का कुल खर्च अप्रैल-अगस्त के दौरान 13.9 लाख करोड़ रुपये रहा जो बजटीय अनुमान का 35.2 फीसदी है। यह पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 36.7 फीसदी (12.77 लाख करोड़ रुपये) था।
आंकड़ों के अनुसार, कैपिटल एक्सपेंडिचर अप्रैल-अगस्त के दौरान बढ़कर 2.52 लाख करोड़ रुपये रहा, जो FY23 के बजटीय लक्ष्य का 33.7 फीसदी है। जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 31 फीसदी (1.72 लाख करोड़ रुपये) था।
सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा 16.61 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रखा है जो GDP (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) का 6.4 फीसदी है। अगस्त में फिस्कल डेफिसिट 2.01 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष के इसी महीने में 1.47 लाख करोड़ रुपये था।