अगर भारत को डोनाल्ड ट्रंप के चीन के साथ बढ़ते ट्रेड वॉर से जीतना है तो उसे दक्षिण-पूर्व एशिया में अपने अधिक बिजनेस-फ्रेंडली प्रतिद्वंद्वियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए हाई टैरिफ में कटौती करनी होगी। यह बात भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी कही है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप के टैरिफ अमेरिकी कंपनियों को चीन के साथ ट्रेड कम करने के लिए मजबूर करते हैं तो भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को फायदा होगा। लेकिन भारत को निवेश आकर्षित करने के लिए अपने घरेलू कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने के लिए और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
गार्सेटी ने कहा कि हाई टैरिफ को कम करना एक महत्वपूर्ण कदम है। आगे कहा, "अमेरिकी कंपनियों को भारत की जरूरत नहीं है। अगर वे बाजार में बने रहना चाहते हैं तो यहां एक बड़ा बाजार है, लेकिन अपने अंतरराष्ट्रीय निर्यात के लिए उन्हें भारत में होने की जरूरत नहीं है। दक्षिण-पूर्व एशिया और मैक्सिको में यह अक्सर आसान होता है।"
भारत को भी चेतावनी दे चुके हैं ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप अगले हफ्ते अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं। उन्होंने अमेरिका में इंपोर्ट पर यूनिवर्सल टैरिफ लगाने की धमकी पहले से दी हुई है, जिसमें चीन के सामानों पर कम से कम 60% शुल्क शामिल है। भले ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्रंप के साथ मधुर व्यक्तिगत संबंध हैं, लेकिन इसके बावजूद ट्रंप ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर वह अमेरिकी सामान पर उच्च शुल्क लगाता है तो उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई की जाएगी।
अमेरिका ने हाल के वर्षों में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों प्रशासनों के तहत भारत के साथ ट्रेड और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत किया है, क्योंकि वह भारत को अधिक मुखर चीन के खिलाफ एक क्षेत्रीय सुरक्षा के रूप में देखता है।
भारत के ट्रेड बैरियर्स को लेकर ट्रंप की शिकायतों के बावजूद, गार्सेटी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका और भारत के बीच नजदीकी बढ़ती रहेगी। लॉस एंजिल्स के पूर्व मेयर गार्सेटी का भारत में अमेरिकी राजदूत के रूप में लगभग दो साल का कार्यकाल अगले सप्ताह व्हाइट हाउस में ट्रंप के शपथ ग्रहण के साथ खत्म हो जाएगा। उनके बाद भारत में अमेरिकी राजदूत कौन होगा, इसकी अभी घोषणा नहीं की गई है।