अमेरिकी कॉफी हाउस चेन स्टारबक्स (Starbucks) ने 2018 में शुरू की गई अपनी एक पॉलिसी को हाल ही में रिवर्स कर दिया है। इस रिवर्सल के तहत अब लोग बिना कुछ खरीदे स्टारबक्स कॉफी शॉप में न ही बैठ सकते हैं और न ही रेस्टरूम/वॉशरूम या अन्य फैसिलिटीज इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन भारत में यह रिवर्सल लागू नहीं होगा। स्टारबक्स ने मनीकंट्रोल को ईमेल के जरिए दिए गए बयान में बताया है कि उसका बिना कुछ खरीदे रेस्टरूम के इस्तेमाल या अन्य फैसिलिटीज को एक्सेस करने को रोकने वाली कोई पॉलिसी भारत में लागू करने का इरादा नहीं है।
स्टारबक्स की पॉलिसी में हाल ही में बदलाव उत्तरी अमेरिका में हुआ, जहां स्टारबक्स ने घोषणा की कि ग्राहकों के लिए इसकी फैसिलिटी का इस्तेमाल करने के लिए कॉफी शॉप से कुछ लेना जरूरी होगा। स्टारबक्स के ग्लोबल ऑपरेशंस के प्रवक्ता ने कहा, "कॉफीहाउस कोड ऑफ कंडक्ट केवल अमेरिका और कनाडा (उत्तरी अमेरिका) में कंपनी के मालिकाना हक वाले स्टोर पर लागू होता है। इस समय दुनिया के अन्य हिस्सों में इसी तरह के बदलाव लागू करने की कोई योजना नहीं है।"
भारत में टाटा के साथ पार्टनरशिप में है स्टारबक्स का बिजनेस
भारत में स्टारबक्स इंडिया, टाटा स्टारबक्स प्राइवेट लिमिटेड ब्रांड नेम के तहत स्टारबक्स कॉरपोरेशन और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के बीच 50:50 पार्टनरशिप वाला जॉइंट वेंचर है। 2012 में स्थापित, इस कॉफी चेन के देश में 450 से ज्यादा आउटलेट हैं। भारत में इस तरह की सबसे बड़ी चेन होने के बावजूद कंपनी अपनी विस्तार योजनाओं को एडजस्ट कर रही है। टाटा कंज्यूमर के सीईओ सुनील डिसूजा ने पिछले साल दिसंबर में रॉयटर्स को बताया था कि इसके कैफे में कम ग्राहक आ रहे हैं।
भारतीय उपभोक्ता विवेकाधीन खर्च में कटौती कर रहे हैं क्योंकि महंगाई मिडिल क्लास के बजट पर लगातार दबाव डाल रही है। प्रीमियम कॉफी और कैफे ट्रीट्स जैसे प्रोडक्ट्स को रोजमर्रा की जरूरतों के बजाय भोग-विलास के रूप में देखा जा रहा है।
27 जनवरी से लागू होगा बदलाव
उत्तरी अमेरिका में स्टारबक्स की पॉलिसी में ताजा बदलाव 27 जनवरी से प्रभावी होने वाला है। हालांकि, यह इस समय भारत सहित अंतरराष्ट्रीय बाजारों को सीधे प्रभावित नहीं करेगा। कंपनी के एशिया-प्रशांत के लिए प्रवक्ता ने ईमेल में बयान में कहा, "हम चाहते हैं कि हमारे स्टोर में हर कोई खुद को वेलकम और सहज महसूस करे। कॉफीहाउस कोड ऑफ कंडक्ट लागू करना कुछ ऐसा है, जिसे ज्यादातर रिटेलर्स पहले से अपनाए हुए हैं। यह एक व्यावहारिक कदम है, जो हमें अपने भुगतान करने वाले ग्राहकों को प्राथमिकता देने में मदद करता है।'