India-US Trade: निर्यातकों ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की योजना से भारत का निर्यात बढ़ने की उम्मीद जताई है। उनका कहना है कि अमेरिका के साथ 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य और द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करने की योजना से अमेरिका को निर्यात बढ़ाने में भारत को मदद मिलेगी। निर्यातकों ने कहा कि टेक्नोलॉजी, डिफेंस और ग्रीन एनर्जी पर फोकस करने से भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर्स को खास तौर पर लाभ होगा और ग्लोबल कंपटीटिवनेस बढ़ेगी।
India-US Trade पर एक्सपर्ट्स की ये है राय
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के प्रेसिडेंट अश्विनी कुमार ने बाधाओं को दूर करके और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने की अहमियत पर जोर दिया। इंटरनेशनल ट्रेड एक्सपर्ट और हाईटेक गियर्स के चेयरमैन दीप कपूरिया ने कहा कि 500 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन की हाई-लेवल विजिट का एक अहम परिणाम है।
उन्होंने कहा, “चूंकि भारत के पास अमेरिका के साथ व्यापार में सरप्लस है, इसलिए यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को निर्यात बढ़ाने के मामले में भारत के लिए अहम लाभ लाएगा। यहां जरूरी बात यह है कि दोनों नेताओं ने 2025 की शरद ऋतु तक पारस्परिक रूप से लाभकारी मल्टी-सेक्टर बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट की पहली किश्त पर बातचीत करने पर सहमति जताई है।”
कपूरिया ने कहा कि इस निर्णय से उन अमेरिकी निवेशकों को बड़ा बढ़ावा मिलेगा जो भारत में आना चाहते हैं और भारत में नए निवेश अवसरों की तलाश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारतीय उद्योग के लिए यह अमेरिका को निर्यात बढ़ाने के साथ-साथ अमेरिकी कंपनियों के नेतृत्व में जीवीसी (ग्लोबल वैल्यू चेन) के साथ जुड़ने का एक बड़ा अवसर है।”
2023 में भारत के पक्ष में 43.65 अरब डॉलर का ट्रेड गैप
साल 2023 में वस्तुओं और सेवाओं में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार 190.08 अरब डॉलर (123.89 अरब डॉलर वस्तु व्यापार और 66.19 अरब डॉलर सेवा व्यापार) था। उस वर्ष, अमेरिका को भारत का माल निर्यात 83.77 अरब डॉलर था, जबकि आयात 40.12 अरब डॉलर था, जिससे भारत के पक्ष में 43.65 अरब डॉलर का ट्रेड गैप हुआ।
साल 2023 में अमेरिका को देश का सर्विस एक्सपोर्ट 36.33 अरब डॉलर था, जबकि इंपोर्ट 29.86 अरब डॉलर था। इसका मतलब है कि ट्रेड गैप (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) भारत के पक्ष में 6.47 अरब डॉलर था।