Indigo को अब तक नहीं मिला है सीसीआई का नोटिस, लेकिन रेगुलेटर की आंतरिक जांच जारी

इंडिया के एविएशन सेक्टर में इंडिगो की हिस्सेदारी 65 फीसदी है। इस महीने की शुरुआत में एयरलाइन ने 2,000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल किए थे। इसकी बड़ी वजह सेफ्टी नियमों के पालन में एयलाइन की नाकामी थी। बड़ी संख्या में फ्लाइट्स कैंसिल होने से पैसेंजर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था

अपडेटेड Dec 18, 2025 पर 7:39 PM
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अगर इंडिगो के खिलाफ औपचारिक जांच की जरूरत पड़ी तो वह कॉम्पिटिशन एक्ट के सेक्शन 4 के तहत होगी।

इंडिगो को कॉम्पिटिशन नियमों के उल्लंघन पर कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) का कोई नोटिस नहीं मिला है। इस मामले से सीधे जुड़े एक सूत्र ने यह बताया। उन्होंने कहा कि सीसीआई अभी इंडिगो की शुरुआती जांच कर रहा है। दिसंबर की शुरुआत में फ्लाइट्स कैंसिलेशन और देरी के मामले की जांच अभी चल रही है।

कॉम्पिटिशन नियमों के उल्लंघन पर पेनाल्टी लग सकती है

सूत्र ने कहा, "अगर इंडिगो के खिलाफ औपचारिक जांच की जरूरत पड़ी तो वह कॉम्पिटिशन एक्ट के सेक्शन 4 के तहत होगी।" मनीकंट्रोल ने 12 दिसंबर को बताया था कि CCI ने इंडिगो मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। अगर कॉम्पिटिशन नियमों का उल्लंघन पाया जाता है तो रेगुलेटर एयरलाइन पर पेनाल्टी लगा सकता है।


इंडिगो की एयरलाइंस इंडस्ट्री में 65% हिस्सेदारी

इंडिया के एविएशन सेक्टर में इंडिगो की हिस्सेदारी 65 फीसदी है। इस महीने की शुरुआत में एयरलाइन ने 2,000 से ज्यादा फ्लाइट्स कैंसिल किए थे। इसकी बड़ी वजह सेफ्टी नियमों के पालन में एयलाइन की नाकामी थी। बड़ी संख्या में फ्लाइट्स कैंसिल होने से पैसेंजर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। इससे दूसरी एयरलाइंस के फ्लाइट्स के टिकट के दाम आसमान में पहुंच गए थे।

कॉम्पिटिशन एक्ट के सेक्शन 4 के तहत कार्रवाई संभव

कॉम्पिटिशन एक्ट के सेक्शन 4 का इस्तेमाल तब होता है, जब कोई कंपनी अपनी मजबूत स्थिति का इस्तेमाल फायदे के लिए करती है। सेक्शन 4(2) में उन प्रैक्टिसेज के बारे में बताया गया है जिन्हें अपनी मजबूत स्थिति का दुरूपयोग माना जाता है। इनमें कंज्यूमर को नुकसान और प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को नुकसान सहित कई कैटेगरी शामिल हैं।

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डीजीसीए के नए नियमों के पालन में नाकामी क्राइसिस की वजह

डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) के मुताबिक, इंडिगो की सेवाओं से जुड़ी क्राइसिस की सबसे बड़ी वजह एयरलाइन की फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशंस (FDTL) के नियमों के पालन में नाकामी थी। इस नियम के हिसाब से एयरलाइन पायलट्स और क्रू की संख्या बढ़ाने में विफल रही।

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