Jio Financial Services पहले बांड इश्यू के लिए कर रही है बातचीत, जानिए डिटेल

बैंकरों ने कहा कि Jio Financial Services इश्यू के माध्यम से 5,000 करोड़ रुपये ($600.6 मिलियन) से 10,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना सकती है। कंपनी इस वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही में अपना पहला बांड इश्यू लेकर आ सकती है

अपडेटेड Nov 20, 2023 पर 7:55 PM
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जियो फाइनेंशियल सर्विसेज अपने पहले बांड इश्यू के लिए मर्चेंट बैंकरों के साथ शुरुआती बातचीत कर रही है।

जियो फाइनेंशियल सर्विसेज (Jio Financial Services) अपने पहले बांड इश्यू के लिए मर्चेंट बैंकरों के साथ शुरुआती बातचीत कर रही है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक चार बैंकरों ने आज सोमवार को यह जानकारी दी। बैंकरों ने कहा कि कंपनी इश्यू के माध्यम से 5,000 करोड़ रुपये ($600.6 मिलियन) से 10,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना सकती है। कंपनी इस वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही में बाजार का लाभ उठा सकती है। उन्होंने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज से अलग होकर बनी जियो फाइनेंशियल अपनी क्रेडिट रेटिंग और अन्य जरूरी मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में है।

रॉयटर्स का कहना है कि बैंकरों ने अपनी पहचान बताने से इनकार कर दिया क्योंकि वे मीडिया से बात करने के लिए ऑथराइज्ड नहीं हैं। वहीं, जियो फाइनेंशियल ने टिप्पणी के लिए रॉयटर्स के ईमेल का तुरंत जवाब नहीं दिया है। यह कंपनी अगस्त में लिस्ट हुई है। इसकी योजना तेजी से बढ़ते बाजार में खुद को एक फुल-सर्विस फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म के रूप में स्थापित करने की है।

इसकी योजना तेजी से बढ़ते बाजार में खुद को एक पूर्ण-सेवा वित्तीय सेवा फर्म के रूप में स्थापित करने की है। इसके प्रोडक्ट्स में ऑटो, होम लोन और अन्य शामिल हैं और इसका मुकाबला बजाज फाइनेंस जैसी कंपनियों से है। रॉकफोर्ट फिनकैप के फाउंडर और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, "जियो फाइनेंशियल के पास मजबूत पैरेंट कंपनी है और उम्मीद है कि कंपनी को ऑटोमैटिक रूप से AAA क्रेडिट रेटिंग मिल जाएगी।"


NBFC के तौर पर उधार लेने की लागत RIL की तुलना में 10-20 आधार अंक ज्यादा होगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि NBFC को RIL की तुलना में ज्यादा जोखिम भरा उधारकर्ता माना जाता है, इसलिए उन्हें निवेशकों को आकर्षित करने के लिए ज्यादा ब्याज दर का भुगतान करना पड़ता है। उधार लेने की सटीक लागत बांड की अवधि और NBFC की बैलेंस शीट के साइज जैसे फैक्टर्स पर निर्भर करेगी।

बैंकरों ने सिफारिश की है कि जियो फाइनेंशियल 5 साल से ज्यादा की मैच्योरिटी अवधि के बांड जारी न करे। ऐसा इसलिए है क्योंकि निकट भविष्य में ब्याज दर का माहौल बदलने की उम्मीद है, और बैंकर जियो फाइनेंशियल के लिए कम ब्याज दर तय करना चाहते हैं।

एक निजी बैंक के मर्चेंट बैंकर ने कहा, “जियो फाइनेंशियल एक नई कंपनी है, इसलिए जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी करने और नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने की प्रक्रिया में कुछ समय लगेगा। इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि उनका बांड जारी मार्च के अंत से पहले हो जाएगा।”

इस महीने की शुरुआत में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक नॉन-फाइनेंशियल इंडियन फर्म द्वारा सबसे बड़े इश्यू में 10-वर्षीय बांड के माध्यम से 200 अरब रुपये जुटाए, जो सरकार की बॉरोइंग कॉस्ट से 40 बेसिस प्वाइंट अधिक है। एक निजी बैंक के मर्चेंट बैंकर ने कहा, "चूंकि कंपनी नई है, तो डॉक्यूमेंटेशन और कंप्लायंस में समय लगेगा, और हम उम्मीद करते हैं कि उनका बांड जारी मार्च के अंत से पहले हो जाएगा।"

Shubham Singh Thakur

Shubham Singh Thakur

Tags: #Jio

First Published: Nov 20, 2023 7:22 PM

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