वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को बजट भाषण में एलआईसी की लिस्टिंग का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार एयर इंडिया का निजीकरण कर चुकी है और एलआईसी का आईपीओ जल्द आएगा। चालू वित्त वर्ष में सरकार के विनिवेश प्रोग्राम की सफलता एलआईसी के आईपीओ पर निर्भर करती है। सरकार की पूरी कोशिश 31 मार्च से पहले एलआईसी को स्टॉक मार्केट्स में लिस्ट कराने की है। यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा।
अंग्रेजी बिजनेस न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया है कि सरकार को एलआईसी की वैल्यूएशन रिपोर्ट मिल गई है। एक हफ्ते के अंदर सरकार ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल कर सकती है। सरकार शुरुआत में एलआईसी में अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 65000 से 75,000 करोड़ रुपये जुटा सकती है। इससे चालू वित्त वर्ष के लिए 78,000 करोड़ रुपये का विनिवेश का टार्गेट पूरा हो जाएगा। अब तक सरकार इस वित्त वर्ष में डिसइन्वेस्टमेंट से सिर्फ 12,000 करोड़ रुपये से थोड़ा ज्यादा जुटा सकी है।
एलआईसी देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है। सरकार की योजना इसे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कराने की है। हालांकि, इस मामले में प्रगति काफी सुस्त रही है। अगर चालू वित्त वर्ष में एलआईसी का आईपीओ नहीं आता है तो सरकार विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने से चूक जाएगी। सरकार ने एलआईसी के चेयरमैन एम आर कुमार का कार्यकाल एक साल तक बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि आईपीओ के प्लान को ध्यान में रख सरकार ने यह कदम उठाया है।
सरकार ने एलआईसी के चेयरमैन के अलावा इसके एक डायरेक्टर राजकुमार का कार्यकाल भी एक साल के लिए बढ़ा दिया है। अब एम आर कुमार अगले साल मार्च तक एलआईसी के चेयरमैन रहेंगे। बतौर एलआईसी चैयरमैन कुमार का कार्यकाल दूसरी बार बढ़ाया गया है। पिछले साल जून में उनका कार्यकाल 9 महीने के लिए बढ़ाया गया था। एलआईसी में सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है। लिस्टिंग के बाद यह देश की सबसे बड़ी कंपनी बन जाएगी, जिसका वैल्यूएशन 8 से 10 लाख करोड़ रुपये होगा।