Mehli Mistry: कभी रतन टाटा के करीबी रहे मेहली मिस्री, अब टाटा ट्रस्ट्स से हो सकते हैं बाहर
मेहली मिस्त्री को कभी रतन टाटा के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक गिना जाता था। लेकिन अब वहीं मेहली मिस्त्री टाटा समूह से बाहर किए जाने की स्थिति में है। टाटा ट्रस्ट्स के तीन प्रमुख ट्रस्टी, नोएल टाटा, वेंणु श्रीनिवासन और विजय सिंह ने उनके कार्यकाल के नवीनीकरण को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है
मेहली मिस्त्री का टाटा ट्रस्ट्स में कार्यकाल समाप्त होना तय माना जा रहा है
मेहली मिस्त्री को कभी रतन टाटा के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक गिना जाता था। लेकिन अब वहीं मेहली मिस्त्री टाटा समूह से बाहर किए जाने की स्थिति में है। टाटा ट्रस्ट्स के तीन प्रमुख ट्रस्टी, नोएल टाटा, वेंणु श्रीनिवासन और विजय सिंह ने उनके कार्यकाल के नवीनीकरण को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। इस फैसले के बाद, मिस्त्री का टाटा ट्रस्ट्स में कार्यकाल समाप्त होना तय माना जा रहा है।
टाटा ग्रुप से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) और सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) दोनों में बहुमत से लिया गया है। बता दें कि ये दोनों ट्रस्ट्स मिलकर टाटा संस (Tata Sons) में 51% हिस्सेदारी रखते हैं, जबकि टाटा ट्रस्ट्स का कुल संयुक्त स्वामित्व 66% है।
कौन हैं मेहली मिस्त्री?
मेहली मिस्त्री, शापूरजी मिस्त्री (और उनके दिवंगत भाई सायरस मिस्त्री) के पहले चचेरे भाई हैं। शापूरजी पलोनजी ग्रुप, टाटा संस में टाटा ट्रस्ट्स के बाद दूसरा सबसे बड़ा शेयरहोल्डर है। मेहली के कारोबारी समूह का नाम स्टर्लिंग मोटर्स है, जो टाटा मोटर्स का डीलर है। इसके टाटा स्टील, टाटा पावर और टाटा नायक शिपिंग जैसी कंपनियों के साथ भी कारोबारी रिश्ते है। इसके अलावा, वे ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं, जिसे टाटा ग्रुप ने हाल ही में 500 करोड़ रुपये की सहायता दी है।
साल 2022 में, मेहली मिस्त्री को सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट दोनों का ट्रस्टी नियुक्त किया गया था। उन्होंने दोनों ट्रस्ट्स की कार्यकारी समितियों में प्रभावशाली भूमिका निभाई और RNT एसोसिएट्स के बोर्ड में भी शामिल रहे।
मिस्त्री बनाम मिस्त्री
मेहली मिस्त्री की कहानी सिर्फ कॉरपोरेट दुनिया की नहीं, बल्कि पारिवारिक वफादारी और विभाजन की भी है। जब 2016 में टाटा ग्रुप और सायरस मिस्त्री के बीच विवाद चरम पर था, तो मेहली ने अपने खून के रिश्ते से ऊपर उठकर रतन टाटा का साथ दिया। यह वही समय था जब सायरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था। इस फैसले ने देश की सबसे चर्चित कॉरपोरेट लड़ाइयों में से एक को जन्म दिया था।
मेहली और सायरस मिस्त्री के पारिवारिक रिश्ते गहरे हैं। दोनों की माताएं बहनें हैं, जबकि उनके दादा भी भाई थे। एक का परिवार सिविल कॉन्ट्रैक्टिंग में गया, जबकि दूसरे का परिवार पेंटिंग और कंस्ट्रक्शन बिजनेस में सक्रिय रहा।
मेहली की रतन टाटा से दोस्ती बचपन में ही शुरू हो गई थी। एक मित्र के अनुसार, “मेहली ने पहली बार रतन टाटा से तब मुलाकात की जब वे केवल 10 साल के थे।” दोनों के बीच वर्षों में गहरी मित्रता हो गई और उन्हें अक्सर साथ यात्रा करते देखा जाता था।
फिर इतिहास ने ली करवट
विडंबना यह है कि मेहली मिस्त्री की संभावित विदाई भी अक्टूबर माह में हो रही है। ठीक उसी महीने जब उनके चचेरे भाई सायरस मिस्त्री को 2016 में टाटा संस से हटाया गया था।
अब सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी में नोएल टाटा, वेंणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, मेहली मिस्त्री, प्रमित झावेरी और दारियस खंबाटा का शामिल हैं। वहीं सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) के ट्रस्टियों में नोएल टाटा, वेंणु श्रीनिवासन, विजय सिंह, जिमी टाटा, जहांगीर जेहांगिर, मेहली मिस्त्री और दारियस खंबाटा शामिल हैं।
चूंकि मिस्त्री अपने कार्यकाल के नवीनीकरण पर मतदान नहीं कर सकते, इसलिए फैसला बहुमत के आधार पर हुआ। स्रोतों के मुताबिक, तीन ट्रस्टियों ने गुरुवार देर रात और शुक्रवार सुबह अपना निर्णय सुचित किया।
परंपरा से अलग हुआ टाटा ट्रस्ट्स
टाटा ट्रस्ट्स में अब तक सभी फैसला सर्वसम्मति से लिए जाते रहे हैं, लेकिन यह परंपरा सितंबर में टूटी जब ट्रस्टियों ने बहुमत से पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड से हटाया था। यह विवाद रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्ट्स में बदलते समीकरणों को उजागर करता है। ट्रस्ट डीड के अनुसार, किसी भी बैठक में तीन ट्रस्टी उपस्थित हों और बहुमत का फैसला अंतिम माना जाएगा।
रतन टाटा के निधन के नौ दिन बाद 17 अक्टूबर को ट्रस्टियों ने बैठक में यह संकल्प लिया था कि वे फाउंडर के आदर्शों पर चलते हुए “एकजुट होकर सेवा करेंगे” और सभी ट्रस्टियों का कार्यकाल बिना किसी सीमा के नवीनीकृत किया जाएगा। लेकिन यह प्रक्रिया कैसे लागू होगी, इस पर स्पष्टता अब भी नहीं है।
डिस्क्लेमरःMoneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।