Credit Cards

NCLAT ने IDBI की अपील पर Zee से मांगा जवाब, जानिए क्या है पूरा मामला

IDBI bank's plea against Zee Entertainment : IDBI Bank ने NCLT के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें ट्राइब्यूनल ने ZEEL के इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस की इजाजत नहीं दी थी। अपीलीय ट्राइब्यूनल ने ZEEL को इस मामले में नोटिस जारी कर दो हफ्ते के अंदर IDBI Bank की अपील पर जवाब देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को होगी

अपडेटेड Aug 31, 2023 पर 2:25 PM
Story continues below Advertisement
NCLT की मुंबई बेंच ने मई 2023 में IDBI की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। उसने कहा था कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के सेक्शन 10ए के तहत इसकी मनाही है।

 IDBI bank's plea against Zee Entertainment : NCLAT ने 31 अगस्त को IDBI Bank की अपील पर Zee Entertainment (ZEEL) से जवाब मांगा है। IDBI Bank ने NCLT के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें ट्राइब्यूनल ने ZEEL के इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस की इजाजत नहीं दी थी। अपीलीय ट्राइब्यूनल ने ZEEL को इस मामले में नोटिस जारी कर दो हफ्ते के अंदर IDBI Bank की अपील पर जवाब देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को होगी। 31 अगस्त को सुनवाई के दौरान सीनियर वकील अभिषेक मुन सिंघवी ने जी एंटरटेनमेंट का पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि IDBI Bank ने कोरोना की महामारी के दौरान बैंक गारंटी का इस्तेमाल किया था, जबकि सरकार ने कहा था कि 25 मार्च, 2020 को या उके बाद किसी डिफॉल्ट के लिए इनसॉल्वेंसी प्रोसेस शुरू नहीं किया जा सकता है। यह रोक एक साल के लिए लागू थी।

NCLT की मुंबई बेंच ने आईडीबीआई की याचिका खारिज कर दी थी

सीनियर वकील रामजी श्रीनिवासन ने इस मामले में आईडीबीआई बैंक का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि डिफॉल्ट कोरोना की महामारी शुरू होने से पहले किया गया था। इनसॉल्वेंसी प्रोसेस शुरू नहीं करने का प्रावधान सिर्फ मौजूदा मामले में लागू होता है। NCLAT ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस मामले पर विचार करने की जरूरत है। उसने इस मामले में नोटिस जारी कर दिया। NCLT की मुंबई बेंच ने मई 2023 में IDBI की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। उसने कहा था कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के सेक्शन 10ए के तहत इसकी मनाही है।


IBC का सेक्शन 10ए क्या है?

सेक्शन 10ए में कहा गया है कि 25 मार्च, 2020 को या उसके बाद किसी डिफॉल्ट पर बैंक या कोई वित्तीय संस्थान कॉर्पोरेट इनसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोसेस (CIRP) शुरू करने के लिए अप्लिकेशन फाइल नहीं कर सकता। यह रोक एक साल के लिए लगाई गई थी। यह एक स्पेशल प्रोविजन था, जिसे सरकार ने IBC में शामिल किया था। कोरोना की महामारी को देखते हुए ऐसा किया किया गया था।

सिटी नेटवर्क्स ने लिया था लोन

NCLT की दो सदस्यीय बेंच ने कहा था कि Siti Networks की तरफ से लिए गए लोन पर ZEEL ने गारंटी दी थी। सिटी नेटवर्क्स ने इस लोन पर डिफॉल्ट किया था। डिफॉल्ट सेक्शन 10 ए में बताई गई अवधि के दौरान किया गया था। इस साल की शुरुआत में NCLT की मुंबई बेंच ने ZEEL की इनसॉल्वेंसी के लिए IndusInd Bank की याचिका मंजूर कर ली थी। उसके बाद प्रोसेस शुरू हुआ था, क्योंकि सिटी नेटवर्क्स ने इंडसइंड बैंक से 150 करोड़ रुपये का लोन लिया था, जिसकी गारंटर Zee थी। उसने डेट सर्विस रिजर्व अकाउंट गारंटी एग्रीमेंट (DSRA) के तहत यह गारंटी दी थी। लेकिन, वह एग्रीमेंट की शर्त पूरा नहीं कर सकी। इससे 83 करोड़ रुपये का बैंक का पैसा बकाया रह गया।

जुलाई में दोनों पक्षों ने एग्रीमेंट की दी थी जानकारी

ZEEL के पुनीत गोयल ने इस आदेश के खिलाफ NCLAT में अपील की थी। एसीएलएटी ने फरवरी में इनसॉल्वेंसी प्रोसेस शुरू करने के आदेश पर रोक लगा दी थी। जुलाई 2023 में ZEEL और इंडसइंड बैंक ने अपीलीय ट्राइब्यूनल को बताया था कि दोनों एक एग्रीमेंट के लिए तैयार हो गए हैं। उसके बाद इनसॉल्वेंसी प्रोसेस बंद कर दिया गया था।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।