4-Working Days: चार दिन काम, 3 दिन आराम, ट्रायल में चौंकाने वाले नतीजे, भारत में ये है तैयारी

4-Working Days: भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में हफ्ते में चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी के मॉडल पर चर्चा चल रही है। वहीं ब्रिटेन में इसके ट्रायल का आधा समय पूरा हो चुका है जिसके फीडबैक चौंकाने वाले रहे हैं

अपडेटेड Sep 13, 2022 पर 3:28 PM
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ब्रिटेन में ट्रॉयल शुरू होने के तीन महीने बाद कंपनी और कर्मी चार वर्किंग डेज के कांसेप्ट के समर्थन में दिख रहे हैं। (File Photo)

4-Working Days: भारत समेत दुनिया भर के कई देशों में हफ्ते में सिर्फ चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी के मॉडल पर चर्चा चल रही है। भारत में इसे लेकर नए लेबर कोड (New Labour Code) बनाए गए हैं लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका है। वहीं ब्रिटेन में कुछ कंपनियों में इसे ट्रॉयल के तौर पर शुरू किया गयाा है। ब्रिटेन में पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच बैलेंस के उद्देश्य पर आधारित 4-डे वीक पायलट प्रोग्राम (4-Day Week UK Pilot Programme) जून से चल रहा है जिसमें कई सेक्टर्स की कंपनियों ने हिस्सा लिया। छह महीने के लिए शुरू किए गए इस प्रोग्राम का आधा समय यानी तीन महीना पूरा हो चुका है तो ऐसे में यह जानना दिलचस्प रहेगा कि इसके नतीजे क्या रहे।

कंपनियों के हिसाब से, निगेटिव कम और पॉजिटिव बहुत अधिक

सीएनबीसी से बातचीत में कंटेंट और डिजिटल माार्केटिंग कंपनी लिटरल ह्यूमन्स के को-फाउंडर गैड्सबी पीट ने कहा कि चार-वर्किंग डेज के कांसेप्ट में कुछ निगेटिव्स हैं लेकिन पॉजिटिव बहुत अधिक हैं। पीट के मुताबिक हफ्ते में चार दिन ही काम से उत्पादकता 5 फीसदी कम हुई लेकिन कर्मियों की खुशी 50 फीसदी बढ़ गई और इसके चलते बेहतर टैलेंट आया।


शुरुआती दिक्कतों के बाद अब कर्मियों को यह मॉडल अधिक पसंद

चार वर्किंग डेज का प्रयोग शुरू होने पर पहले कर्मियों को बहुत दबाव महसूस हुआ क्योंकि चार ही वर्किंग डेज के चलते काम का बोझ बढ़ा। हालांकि अब उन्हें अपने काम और निजी जिंदगी के बीच संतुलन के लिए यह बेहतर आइडिया लग रहा। एक कर्मी ने सीएनबीसी से बताया कि अब उसे यह कांसेप्ट पसंद आ गया है और वह पांच वर्किंग डेज में कभी नहीं लौटेगी। उसका मानना है कि यह उसके काम और निजी जिंदगी के लिए बेहतर संतुलन है।

78% कर्मी और 63% कंपनियां 4-वर्किंग डेज के फेवर में

'द 4-डे वीक ग्लोबल' कारोबारी नेताओं और रणनीतिकारों का एक गैर-लाभकारी समूह है। इसकी वेबसाइट पर दावा किया गया है कि जिन कंपनियों का सर्वे किया गया, उनमें से 63 फीसदी ने माना कि यह कांसेप्ट अपनाने पर बेहतर टैलेंट वालों के आवेदन अधिक मिले। वहीं दूसरी तरफ 78 फीसदी कर्मी भी इस कांसेप्ट से अधिक खुश और कम तनाव में दिखे।

भारत में कब तक आएगा यह कांसेप्ट?

यूके के बाद अभी चार वर्किंग डेज के कांसेप्ट का ट्रॉयल कनाडा, अमेरिका और शेष यूरोप में शुरू होने वाला है। सरकार के स्तर पर बात करें तो केंद्र सरकार नए लेबर कोड के तहत चार दिन काम-तीन दिन छुट्टी का कांसेप्ट लेकर आई है जिसके तहत तहत चार दिनों तक 12-12 घंटे काम करना होगा। हालांकि अभी इसे लेकर कोई डेडलाइन नहीं तय की गई है।

वहीं भारत में इसकी शुरुआत को लेकर एक्सपर्ट्स बहुत पॉजिटिव नहीं हैं। कैरियर कंसल्टिंग एंड कॉरपोरेट ट्रेनिंग फर्म Eclatmax के फाउंडर John Poulose के मुताबिक भारतीय बाजार अभी यूरोप और अमेरिका जितना परिपक्व नहीं है। जॉन के मुताबिक चार वर्किंग डेज के कांसेप्ट को सभी सेक्टर्स और सभी रोल्स के लिए नहीं लागू किया जा सकता है लेकिन जहां इसे लागू किया जा सकता है, वहां भी कंपनियों के माइंडसेट में बदलाव की जरूरत होगी।

MoneyControl News

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First Published: Sep 02, 2022 2:08 PM

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