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RBI Bulletin: इनफ्लेशन के खिलाफ सख्त और लंबी लड़ाई जारी रहेगी

केंद्रीय बैंक ने इनफ्लेशन के लिए मीडियम टर्म में 4 फीसदी का लक्ष्य तय किया था। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी इनफ्लेशन को कंट्रोल में करने के लिए कई बार रेपो रेट बढ़ा चुकी है। उसने इस साल मई में रेपो रेट बढ़ाने की शुरुआत की थी

अपडेटेड Oct 17, 2022 पर 6:16 PM
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RBI को इनफ्लेशन के फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में 6.7 फीसदी पर आ जाने की उम्मीद है। उसके बाद इसके साल 2024 में अप्रैल-जून के दौरान 5 फीसदी पर आ जा जाने का अनुमान है।

Inflation को काबू में करने की लड़ाई 'सख्त और लंबी'(dogged and prolonged) होगी। इसकी वजह यह है कि मॉनेटरी पॉलिसी (Monetary Policy) के तहत उठाए गए कदमों का असर दिखने में समय लगता है। इधर, मौजूदा आर्थिक माहौल में भी अनिश्चितता बनी हुई है। RBI ने ये बातें अपनी मंथली बुलेटिन में बताई है। यह बुलेटिन 17 अक्टूबर को जारी की गई।

बुलेटिन में शामिल रिपोर्ट 'State of the Economy' में कहा गया है, "लगातार तीन तिमाहियों तक रिटेल इनफ्लेशन के टारगेट से ऊपर बने रहने के चलते इसकी जिम्मेदारी तय करने की प्रक्रिया शुरू होगी। इस बीच मॉनेटरी पॉलिसी का फोकस इनफ्लेशन को टारगेट तक लाने पर फोकस बना रहेगा।" इस रिपोर्ट में दो बातें बताई गई हैं।

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पहला, इनफ्लेशन को काबू में लाना प्रायरिटी में बना रहेगा। दूसरा, फोकस इसे टारगेट रेंज के बीच में लाने पर होगा। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे चलेगी और इस दौरान कई झट लग सकते हैं। इनफ्लेशन के बढ़ने में कोरोना की महामारी के साथ ही जियोपॉलिटिकल मसलों का हाथ है। RBI के डिप्टी गवर्नर और मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के सदस्य माइकल पात्रा इस रिपोर्ट के को-ऑथर हैं। इस रिपोर्ट में व्यक्त विचार इसके लेखकों के हैं। ये RBI के विचार नहीं हैं।

इनफ्लेशन लगातार तीन तिमाहियों से आरबीआई की 2-6 फीसदी की टारगेट रेंज से ज्यादा बना हुआ है। इनफ्लेशन को काबू में करने के लिए यह तीन तिमाहियों की डेडलाइन तय है। इस बार इनफ्लेशन इस डेडलाइन में काबू में नहीं आ सका है। सितंबर में रिटेल इनफ्लेशन 7.41 फीसदी पर पहुंच गया। अगस्त में यह 7 फीसदी था।

सितंबर के इनफ्लेशन के डेटा को देखने के बाद इसकी पुष्टि हो गई है कि यह तीन साल से आरबीआई के टारगेट से ऊपर बना हुआ है। केंद्रीय बैंक ने इनफ्लेशन के लिए मीडियम टर्म में 4 फीसदी का लक्ष्य तय किया था। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी इनफ्लेशन को कंट्रोल में करने के लिए कई बार रेपो रेट बढ़ा चुकी है। उसने इस साल मई में रेपो रेट बढ़ाने की शुरुआत की थी। तब से अब तक रेपो रेट को 1.90 फीसदी बढ़ाया जा चुका है। अभी रेपो रेट 5.9 फीसदी है। इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि मार्च तक एमपीसी रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 फीसदी तक कर सकता है।

RBI को इनफ्लेशन के फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में 6.7 फीसदी पर आ जाने की उम्मीद है। उसके बाद इसके साल 2024 में अप्रैल-जून के दौरान 5 फीसदी पर आ जा जाने का अनुमान है। यह इनफ्लेशन के आरबीआई के टारगेट के करीब होगा। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसके दो साल में 4 फीसदी पर आने की उम्मीद जताई है।

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