टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस (Tata Sons) को जल्द ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से बड़ी राहत मिल सकती है। दरअसल, मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक RBI ने Tata Sons को लिस्टिंग से बचने के लिए फाइनेंशियल सर्विसेज एक्टिविटी में शामिल नहीं होने के लिए कहा है। सूत्रों के मुताबिक टाटा संस RBI द्वारा लिस्ट होने से छूट प्राप्त करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में पहुंच गई है और अब RBI से मांगी गई एक अहम आश्वासन देने के लिए तैयार है। बता दें कि टाटा संस ने IPO लाने की अनिवार्यता से बचने के लिए आवेदन किया था, जिसकी RBI द्वारा समीक्षा की जा रही है।
RBI ने Tata Sons से क्या कहा?
मनीकंट्रोल ने सूत्रों के हवाले से बताया कि RBI ने टाटा संस से एक लिखित आश्वासन देने को कहा है। इसके तहत, जब टाटा संस अपना NBFC - CIC (कोर इनवेस्टमेंट कंपनी) लाइसेंस सरेंडर करेगा, तो कंपनी भविष्य में किसी भी फाइनेंशियल सर्विसेज से जुड़ी एक्टिविटी में शामिल नहीं होगी, चाहे वह सीधे तौर पर हो या किसी अन्य तरीके से। इसका मतलब यह होगा कि अगर टाटा संस अपनी किसी ग्रुप कंपनी को गारंटी देती है, तो वह ऐसा कर सकती है, बशर्ते गारंटी में कोई वित्तीय पारस्परिकता या कंसीडरेशन शामिल न हो। दूसरे शब्दों में, ऐसी गारंटियां प्रो बोनो (बिना शुल्क) आधारित होनी चाहिए।
अगर ऐसा नहीं होता है, तो वह ट्रांजेक्शन एक बैंक गारंटी जैसा हो सकता है, जिसमें टाटा संस NBFC-CIC लाइसेंस सरेंडर करने के बाद शामिल नहीं हो सकती। हालांकि, टाटा संस को अपने ग्रुप कंपनियों को शुल्क लिए बिना गारंटी देने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।
वित्तीय समझौते से आर्थिक लाभ नहीं उठा सकेगा Tata Sons
सूत्रों ने मनीकंट्रोल को बताया कि RBI टाटा संस से यह घोषणा करने का दबाव बना रहा है कि NBFC-CIC लाइसेंस सरेंडर करने के बाद, यह प्राइवेट लिमिटेड एंटिटी किसी भी वित्तीय लेन-देन के माध्यम से, चाहे वह ग्रुप कंपनियों के साथ हो या अन्यथा, पैसे का लाभ नहीं उठाएगी। इसका मतलब है कि टाटा संस को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह किसी भी प्रकार के वित्तीय समझौते या लेन-देन से आर्थिक लाभ न उठाए।
पिछले साल अप्रैल के आसपास टाटा संस ने ग्रुप कंपनियों को उधारी देने के रिवाज को रोक दिया था, जब रेगुलेटर ने इस पर असहजता जताई थी। बैंकिंग भाषा में, जब एक होल्डिंग कंपनी अपनी बैलेंस शीट पर लोन लेकर अपनी सहायक कंपनियों को उधार देती है, तो इसे "ऑन-लेंडिंग" कहा जाता है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए टाटा संस और RBI दोनों को भेजे गए ईमेल का खबर पब्लिश किए जाने के समय तक जवाब नहीं मिल सका है।
मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, "टाटा संस RBI द्वारा मांगी गई कमिटमेंट प्रदान करने की प्रक्रिया में है।" उन्होंने कहा, "एक बार यह पूरा हो जाने के बाद, टाटा संस की NBFC-CIC के रूप में डिक्लासिफिकेशन के लिए आवेदन मंजूर किया जाएगा, जिसके बाद लिस्ट होने की जरूरत नहीं होगी।"
दिसंबर 2023 से ही RBI और Tata Sons की चल रही है बातचीत
RBI ने अक्टूबर 2022 में इस कंपनी को अपर-लेयर वाली नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की लिस्ट में डाला था। नियमों के मुताबिक, इस लिस्ट में आने वाली NBFC कंपनियों को 3 साल के भीतर खुद को शेयर बाजार में लिस्ट कराना होता था। इस हिसाब से टाटा संस के पास अपना आईपीओ लाने के लिए सितंबर 2025 तक का समय है। यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि महत्वपूर्ण संस्थाओं में कॉरपोरेट गवर्नेंस और पारदर्शिता को बढ़ाया जा सके।
हालांकि, एक साल से अधिक समय से यह दिग्गज कंपनी अनलिस्टेड एंटिटी बने रहने की दिशा में काम कर रही है। टाटा संस अपना IPO लाने से बचने के लिए दिसंबर 2023 से ही RBI के साथ संपर्क में है और उससे नियमों में छूट की मांग कर रही है। कंपनी ने हाल ही में अपने कर्ज में भी भारी कटौती की है, जिससे वह अपर-लेयर वाली नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की लिस्ट से बाहर हो सके।