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RBI MPC: तीन साल के निचले स्तर पर आएगी ब्याज दर? आरबीआई दे सकता है बड़ा तोहफा

RBI साल 2025 के अंत तक रेपो रेट 5.5% तक ला सकता है। गिरती महंगाई और आर्थिक सुस्ती को देखते हुए यह कदम संभव है। इससे रियल एस्टेट और इंडस्ट्री को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।

अपडेटेड Apr 07, 2025 पर 8:01 PM
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RBI साल 2025 के अंत तक रेपो रेट को घटाकर 5.5% तक ला सकता है, जो अभी 6.25% है।

RBI MPC: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) साल 2025 के अंत तक रेपो रेट को घटाकर 5.5% तक ला सकता है, जो अभी 6.25% है। CNBC-TV18 ने पांच प्रमुख अर्थशास्त्रियों से बात की और सभी का मानना है कि आर्थिक सुस्ती और घटती महंगाई की वजह से यह कटौती तय है। अगर ऐसा होता है, तो यह ब्याज दर अगस्त 2022 के बाद यानी करीब तीन साल के सबसे निचले स्तर पर आ जाएंगी।

रेपो रेट में कब होती है कटौती?

दरअसल, रेपो रेट में कटौती तब की जाती है, जब महंगाई कम हो या विकास दर सुस्त पड़ रही हो। ये दोनों ही फैक्टर फिलहाल रेपो रेट घटाने के हक में हैं। सिटी इंडिया के चीफ इकनॉमिस्ट समीरन चक्रवर्ती का मानना है कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) अब महंगाई की बजाय ग्रोथ पर ज्यादा फोकस करेगी, क्योंकि विकास की दिशा में जोखिम ज्यादा बड़ा है।


वहीं, SBI के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्य कांति घोष के अनुसार, अगर महंगाई के मौजूदा अनुमान सही रहे तो अक्टूबर 2025 तक रिटेल महंगाई 4% या उससे कम रह सकती है। फरवरी 2025 में महंगाई दर 4% से नीचे रही थी, जो कि एक अहम संकेत है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में गिरावट भी भारत में महंगाई को और काबू में रखने में मदद कर रही है।

क्या RBI के पास रेट कट की गुंजाइश है?

RBI के पास अब उद्योगों को राहत देने का पर्याप्त ‘स्पेस’ है। भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पिछले कुछ महीनों से अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। एशिया के बाकी देशों की तुलना में भारत का मैन्युफैक्चरिंग PMI सबसे मजबूत रहा है। ऐसे में अगर रेपो रेट घटता है तो इंडस्ट्री को सस्ते कर्ज मिल सकेंगे, जिससे उत्पादन और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

हालांकि, हाल के महीनों में भारत की बैंकिंग व्यवस्था तरलता (liquidity) की भारी कमी से जूझ रही थी। जनवरी 2025 में तो यह संकट 15 साल में सबसे खराब स्तर पर था। बैंक टैक्स देनदारी जैसे अल्पकालिक खर्चों को पूरा करने में जूझ रहे थे। RBI ने डॉलर खरीदी कर बाजार में रुपये की सप्लाई बढ़ाई और इस संकट को काफी हद तक काबू किया।

नोमुरा की सोनल वर्मा के मुताबिक, यह RBI की मौद्रिक नीति का एक "चुपचाप" बदलाव था। हालांकि, भारत को अभी वैश्विक अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए RBI सतर्क रवैया अपनाएगा। पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनब सेन का कहना है कि ऐसी परिस्थितियों में नीति में संतुलन और स्थिरता ही सबसे जरूरी है।

रेट कट से रियल सेक्टर को होगा बड़ा फायदा

RBI की संभावित रेपो रेट कटौती से रियल एस्टेट सेक्टर को सबसे अधिक फायदा मिलने की उम्मीद है। MRG ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर रजत गोयल का मानना है कि मौद्रिक नीति की अप्रैल मीटिंग में 25 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की पूरी संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो होम लोन की EMI कम होगी, जिससे मिडल और वर्किंग क्लास के लिए घर खरीदना और आसान हो जाएगा।

भूमिका ग्रुप के CMD उद्धव पोद्दार भी मानते हैं कि ब्याज दरों में कटौती खरीदारों और निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ाएगी। इससे किफायती से लेकर प्रीमियम सेगमेंट तक सभी हाउसिंग कैटेगरी में मांग बढ़ेगी। क्रीवा और कनोडिया ग्रुप के फाउंडर डॉ. गौतम कनोडिया के अनुसार, 9 अप्रैल की मौद्रिक नीति बैठक में 0.25% की कटौती हो सकती है। इससे होम लोन सस्ते होंगे और खरीदारों को राहत मिलेगी। डिमांड और आर्थिक गतिविधियों में इजाफा होगा।

वहीं, VVIP ग्रुप के VP उमेश राठौर कहते हैं कि रेपो रेट में कटौती से बैंकों के लिए कर्ज देना सस्ता हो जाएगा। इससे डेवलपर्स और खरीदार दोनों को फायदा होगा। इससे खरीद क्षमता बढ़ेगी, ग्राहक संख्या बढ़ेगी और अंततः रियल एस्टेट की बिक्री में तेजी आएगी।

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