भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए एक अहम फैसला किया है। RBI अगले सप्ताह 10 अरब डॉलर (करीब 86,600 करोड़ रुपये) का तीन वर्षीय डॉलर/रुपया बाय/सेल स्वैप (Buy/Sell Swap) करेगा। आरबीआई ने शुक्रवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी। आरबीआई ने कहा कि कि यह स्वैप 28 फरवरी को आयोजित किया जाएगा और इस लेनदेन का पहला चरण 4 मार्च को सेटल किया जाएगा।
क्या होता है बाय/सेल स्वैप?
डॉलर/रुपया बाय/सेल स्वैप एक एक्सचेंज आधारित लेनदेन है, जिसमें RBI बैंकों से डॉलर खरीदता है और उन्हें उतनी ही वैल्यू का रुपया उपलब्ध कराता है। तीन साल बाद, जब स्वैप की अवधि समाप्त होगी, तब RBI उन्हीं बैंकों को डॉलर बेच देगा और बदले में रुपया वापस ले लेगा।
RBI का यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है?
यह दूसरी बार है जब RBI इस महीने स्वैप ऑक्शन आयोजित कर रहा है। इससे पहले 31 जनवरी को, केंद्रीय बैंक ने छह महीने की अवधि के लिए 5.1 अरब डॉलर का स्वैप आयोजित किया था।
RBI ने बैकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की समस्या को देखते हुए हाल ही विभिन्न तरीकों से बैंकिंग सिस्टम में कुल 3.6 लाख करोड़ रुपये ($41.56 बिलियन) की लिक्विडिटी डाली है। इसमें सरकारी बॉन्ड की खरीद, विदेशी करेंसी स्वैप और लंबे समय के रेपो शामिल हैं।
बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी की यह दिक्कत कई कारणों से आई थी। इनमें सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर उधारी, बैंकों की बढ़ती क्रेडिट डिमांड, RBI की ओर से नीतिगत सख्ती और डॉलर की सप्लाई में कमी जैसे कारण शामिल हैं। इन कारणों से, बैंकिंग सेक्टर में कैश फ्लो बाधित हो रहा था, जिससे शॉर्ट-टर्म ब्याज दरें बढ़ रही थीं। इसी को काबू में रखने के लिए RBI ने यह स्वैप कदम उठाया है, जिससे बाजार में रुपयों की उपलब्धता बढ़ेगी।