Byju's Crisis: NCLT पहुंची बायजू की CCD डील, पूर्व डायरेक्टर रिजु रवींद्रन ने FDI और FEMA नियमों के उल्लंघन का लगाया आरोप

Riju Ravindran: रिजु रवींद्रन ने NCLT से आग्रह किया है कि 5 नवंबर को CoC बैठक में पारित किए गए सभी प्रस्तावों को रद्द किया जाए और CCD समझौते को भारतीय कानून के तहत शून्य और अवैध घोषित किया जाए

अपडेटेड Nov 16, 2025 पर 6:29 PM
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रिजु रवींद्रन का आरोप है कि CCD समझौता भारतीय कानूनों के तहत अवैध है

Byju's: इन्सॉल्वेंसी से जूझ रही एडटेक फर्म बायजू (Byju's) की मालिक कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (TLPL) और उसके अमेरिकी कर्जदाता ग्लास ट्रस्ट कंपनी (Glas Trust Co) की एक सहायक कंपनी के बीच हुए कंपल्सरी कन्वर्टिबल डिबेंचर (CCD) समझौते पर विवाद गहरा गया है। TLPL के निलंबित निदेशक और प्रमोटर रिजु रवींद्रन ने इस समझौते को FDI और FEMA नियमों का उल्लंघन बताते हुए NCLT में याचिका दायर की है।

रिजु रवींद्रन ने NCLT में दायर अपने अंतरिम आवेदन में ये आरोप लगाया है कि Glas Trust, जिसके पास TLPL में 99.25% वोटिंग अधिकार हैं, AESL के राइट्स इश्यू में भाग लेने के लिए अवैध रूप से पैसे जुटाने की कोशिश कर रहा है।

AESL के राइट्स इश्यू में हिस्सा लेना है CCD डील का उद्देश्य


यह विवादित समझौता AESL (आकाश एजुकेशनल सर्विस प्राइवेट लिमिटेड) के चल रहे राइट्स इश्यू में भाग लेने के लिए पैसे जुटाने के लिया किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 3 नवंबर, 2025 को Glas Trust की याचिका को खारिज करते हुए AESL के राइट्स इश्यू को हरी झंडी दे दी थी। TLPL की AESL में लगभग 25.7% हिस्सेदारी है। इस हिस्सेदारी के आधार पर, TLPL को 29 अक्टूबर, 2025 को AESL से लगभग ₹25.75 करोड़ के राइट्स इश्यू में भाग लेने का ऑफर मिला था।

रिजु ने अपनी याचिका में बताया कि 5 नवंबर को हुई कमेटी ऑफ क्रेडिटर (CoC) की बैठक में, Glas के प्रतिनिधि ने TLPL की सहायक कंपनी के माध्यम से CCD को सब्सक्राइब करने का प्रस्ताव रखा, ताकि TLPL इस पैसे का उपयोग AESL के राइट्स इश्यू के लिए कर सके।

FDI/FEMA और IBC नियमों का है उल्लंघन

रिजु रवींद्रन का मुख्य आरोप यह है कि यह CCD समझौता भारतीय कानूनों के तहत 'अवैध और अप्रवर्तनीय' है। रिजु ने आरोप लगाया कि CCD को इस तरह से तैयार किया गया है कि वह FEMA के तहत FDI जैसा दिखे, लेकिन यह वास्तव में वैध विदेशी कर्ज (ECB) है, जो प्रतिबंधित है।

CCD के नियम इसे 'डिबेंचर धारक के विकल्प पर अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय' बनाते हैं। रिजु का कहना है कि यह एक अंतर्निहित और घातक विरोधाभास है, क्योंकि 'अनिवार्य' का मतलब बिना किसी विकल्प के रूपांतरण है, जबकि 'ऑप्शन' धारक को विवेक देता है। उनका कहना है कि यह उपाय एक साथ दोनों नहीं हो सकता और ECB नियमों के जानबूझकर उल्लंघन के लिए इसे CCD का रूप दिया गया है।

COC में विरोध के बावजूद मिली मंजूरी

5 नवंबर को हुई CoC की बैठक में Glas ने इस CCD प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि दो अन्य सदस्य आदित्य बिड़ला कैपिटल और इनक्रेड ने आंतरिक मंजूरी की कमी का हवाला देते हुए खुद को इससे दूर रखा। हालांकि, Glas के पास 99.42% वोटिंग अधिकार होने के कारण, रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल(RP) ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और अनुपालन के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया। रिजु के प्रतिनिधियों ने NCLT की मंजूरी की आवश्यकता पर गंभीर चिंता जताई थी, लेकिन RP ने इन चिंताओं को दरकिनार कर दिया।

रिजु रवींद्रन ने NCLT से आग्रह किया है कि 5 नवंबर को CoC बैठक में पारित किए गए सभी प्रस्तावों को रद्द किया जाए और CCD समझौते को भारतीय कानून के तहत शून्य, अवैध और अप्रवर्तनीय घोषित किया जाए। बता दें कि इस मामले की सुनवाई NCLT में इसी सप्ताह होने की उम्मीद है।

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