RRBs Listing: ऑपरेशनल एफिसिएंसी बढ़ाने और सरकारी बैंकों के बीच कॉम्पटीशन घटाने के लिए सरकार ने 'एक राज्य-एक आरआरबी' की नीति लाई और इसके तहत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) की संख्या कम हो गई। अब एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सरकार की योजना अगले वित्त वर्ष 2026-27 के आखिरी तक कम से कम आरआरबी को लिस्ट करने की है। इससे पहले 1 मई से प्रभावी 'एक राज्य-एक आरआरबी' की नीति के तहत 26 राज्यों और दो यूनियन टेरिटरीज में आरआरबी की संख्या अब 28 हो गई है। इनकी करीब 700 जिलों में 22,000 से अधिक शाखाएं हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का लक्ष्य आरआरबी की छवि को भरोसेमंद बनाने के साथ-साथ स्टेकहोल्डर्स और इंवेस्टर्स के लिए हाई वैल्यू वाले इंस्टीट्यूशंस के रूप में बढ़ावा देना है।
RRBs के लिस्ट होने के लिए क्या हैं मानक?
पिछले तीन वित्त वर्षों में न्यूनतम नेटवर्थ 300 करोड़ रुपए हो।
3 वर्षों से कैपिटल एडेकेसी रेश्यो 9 फीसदी से ऊपर हो। कैपिटल एडेकेसी रेश्यो बैंक के कैपिटल और रिस्क-वेटेड एसेट्स का रेश्यो हैं और यह जितना अधिक होता है, बैंक की सेहत उतनी अधिक मजबूत मानी जाती है।
पिछले पांच साल में इक्विटी पर रिटर्न यानी RoE तीन साल तक लगातार 10 फीसदी से ऊपर हो।
जो आरआरबी लिस्ट होना चाहते हैं, उनका नाम केंद्रीय बैंक RBI की करेक्टिव एक्शन इकोसिस्टम में नहीं होना चाहिए।
RRB की 92% शाखाएं गांवों या अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में
ग्रामीण बैंकिंग की क्षमता बढ़ाने और लागत में कटौती करने की केंद्र की व्यापक रणनीति के हिस्से के तौरा पर देश में आरआरबी की संख्या अब 43 से घटकर 28 पर आ गई है। इन 28 आरआरबी की देश भर में 22 हजार से अधिक शाखाएं हैं जिनमें से 92 फीसदी तो गांवों और अर्द्धशहरी इलाकों में हैं। ये शाखाएं देश के करीब 700 जिलों में हैं।