Indian Startups in 2023: भारतीय स्टार्टअप इको सिस्टम के लिए पिछला साल 2023 कठिनाइयों से भरा रहा। एक तरफ स्टार्टअप्स फंड की कमी से जूझ रहे थे तो एंप्लॉयीज की बड़ी संख्या में छंटनी भी हुई। कंपनियों को ट्रैक करने वाल डेटा प्लेटफॉर्म Tracxn की सालाना रिपोर्ट इंडिया टेक 2003 में लंबे समय से फंडिंग की कमी से जूझ रहे स्टार्टअप्स की चिंताजनक तस्वीर पेश की गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में भारतीय स्टार्टअप्स को पांच साल का सबसे कम फंड मिला। इसका झटका स्टार्टअप ने ग्रोथ के सभी कदमों पर महसूस किया और इससे भारत की ग्लोबल रैंकिंग में पांचवें स्थान तक गिरावट आई।
फंडिंग में 72% तक की गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक स्टार्टअप की फंडिंग में 72% तक की गिरावट आई है। पिछले साल 2023 में भारतीय स्टार्टअप्स को 700 करोड़ डॉलर का फंड ही मिल सका। इसके पिछले साल यानी 2022 में भारतीय स्टार्टअप्स ने 2500 करोड़ डॉलर का फंड इकट्ठा किया था। वहीं आखिरी चरण में फंड जुटाने में तो स्टार्टअप्स को और अधिक दिक्कतें आईं और 2022 की तुलना में 2023 में इसमें 73 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। 2022 में जहां स्टार्टअप कंपनियों ने आखिरी चरणों में 1560 करोड़ डॉलर का निवेश हासिल किया था, वहीं 2023 में कंपनियां केवल 420 करोड़ डॉलर ही जुटा पाईं।
फिनटेक की बात करें तो 2022 में इसने 580 करोड़ डॉलर का फंड जुटाया था लेकिन 2023 में ये सिर्फ 210 करोड़ डॉलर का ही फंड जुटा पाईं। पिछले साल रिटेल सेक्टर की फंडिंग में 67 फीसदी की तेज गिरावट आई और इसे केवल 190 करोड़ डॉलर का ही फंड मिल सका। इसके अलावा एंटरप्राइज एप्लिकेशंस की फंडिंग में भी 78 फीसदी की गिरावट आई और 156 करोड़ डॉलर का ही फंड मिल सका।
कुछ मामलों में बेहतर भी रहा स्टार्टअप के लिए 2023
रनटीवी के फाउंडर और सीईओ मनीष सिन्हा का कहना है कि कई लोग स्टार्टअप्स के लिए साल 2023 को काफी बुरा मान रहे लेकिन कुछ मामले में यह बेहतर भी रहा। उन्होंने कहा कि लॉन्ग टर्म के हिसाब से साल 2023 भारतीय स्टार्टअप इको सिस्टम के लिए काफी बेहतर साल रहा क्योंकि इस साल ग्रीन एनर्जी और स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे कई सेक्टर में स्टार्टअप उभरकर सामने आए।
सांची कनेक्ट के सहसंस्थापक और सीईओ सुनील शेखावत ने जोर देकर कहा, “2023 में स्टार्टअप के संस्थापकों ने मुनाफा हासिल करने और शुरुआत से ही अर्थशास्त्र के मजबूत मानकों को अपने बिजनेस से जोड़ने की जरूरत महसूस की। उन्होंने संस्थापकों से स्टार्टअप के संचालन में अनावश्यक रूप से कमजोर पड़ने की जगह अर्थशास्त्र की ठोस इकाइयों और मानकों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया।
इसके अलावा स्टार्टअप को होने वाली रिकार्ड फंडिंग से प्रेरित होकर 32 से 35 फीसदी लोगों ने नौकरी छोड़ी थी। 2022 में स्टार्टअप को मिलने वाले निवेश की कमी के मद्देनजर नौकरी छोड़ने वाले लोगों की दर सुधरी और यह 23 से 26 फीसदी हो गई। 2021 की तुलना में 2022 में कर्मचारियों की सैलरी कम बढ़ी। 2021 में कर्मचारियों की सैलरी 25 से 75 फीसदी बढी थी। इसकी तुलना में 2022 में कर्मचारियों की तनख्वाह में 10 से लेकर 50 फीसदी की ही बढ़ोतरी हुई।
इस छंटनी का सिर्फ कर्मचारियों पर ही असर नहीं पड़ा, बल्कि स्टार्टअप्स पर भी इसका प्रभाव पड़ा। पुनर्गठन के दौर में स्टार्टअप्स की प्राथमिकताओं में मूलभूत बदलाव आया। रेडरोब के संस्थापक और सीईओ फेलिक्स किम ने इस बदलाव को उभारते हुए कहा, “अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण 2023 स्टार्टअप्स के लिए काफी मुश्किल साल था। इस दौर में स्टार्टअप के शुरुआती चरण में निवेश में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई। किम ने कहा, कोरोना के समय तकनीकी पदों पर 80 फीसदी से ज्यादा नई नियुक्तियां की गई थी। 2023 में तकनीकी पदों पर केवल 40 फीसदी ही नई भर्ती की गई। इस समय इंजीनियर की जगह मार्केटिंग और सेल के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को भर्ती करने की ओर कंपनी का ध्यान था।
नवगति के सहसस्थापक और सीईओ वैभव कौशिक ने सरकार की पहल पर विश्वास जताते हुए कहा, “चुनौतियों के बावजूद भविष्य के लिए एक उम्मीद की किरण दिखाई देती है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने स्टार्टअप इंडस्ट्री के फलने-फूलने के लिए काफी बेहतरीन विजन पेश किया। आने वाले सालों में यह ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत के कद को और मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।“ उन्होंने सरकार की कई पहल जैसे फंड ऑफ फंड्स फॉर स्टॉर्टअप और क्रेडिट गारंटी स्कीम फॉर स्टार्टअप्स को नए जमाने के कारोबारियों से लेकर उपभोक्ताओं तक उद्देश्यपूर्ण समाधान मुहैया करने में सक्षम होने का श्रेय दिया।