Kanika Tekriwal : कनिका टेकरीवाल इंस्टाग्राम पर खुद को बड़े सपने देखने वाली “छोटे शहर की लड़की” बताती हैं। हकीकत में उसकी सोच और बिजनेस खासा बड़ा है।
Kanika Tekriwal : कनिका टेकरीवाल इंस्टाग्राम पर खुद को बड़े सपने देखने वाली “छोटे शहर की लड़की” बताती हैं। हकीकत में उसकी सोच और बिजनेस खासा बड़ा है।
कैंसर को हराने, माता-पिता के विरोध के बावजूद खुले विचारों वाली कनिका टेकरीवाल महज 22 साल की उम्र में अपना एविएशन बेस्ड स्टार्टअप स्थापित कर चुकी थीं। एक दशक के बाद, ऊंची उड़ान भरते हुए वह 10 प्राइवेट जेट की मालिक बन चुकी हैं। उनकी कंपनी का नाम है- जेटसेटगो (JetSetGo), जो भारत का पहला और अकेला प्राइवेट जेट और हेलिकॉप्टर चार्टर्स का मार्केटप्लेस है। टेकरीवाल को भारत के चार्टर प्लेन सेक्टर में व्यापक बदलाव का श्रेय जाता है।
कैंसर के चलते लेट हो गया प्लान
कनिका टेकरीवाल ने इंडियाटाइम्स से बातचीत में कहा, मेरे दिमाग में लगभग तीन साल से यह आइडिया था, लेकिन जब मैंने इस पर अमल शुरू किया तो मुझमें कैंसर का पता चला। इससे मैं एक साल पिछड़ गई। उन्होंने कहा, खुशकिस्मती से जब मेरा इलाज पूरा हो गया और अभी तक कोई भी इस आइडिया पर काम करने के लिए तैयार नहीं था।
2012 में शुरू किया स्टार्टअप
हालांकि, टेकरीवाल के लिए यह काम आसान हीं था। उनका जन्म पारम्परिक मारवाड़ी फैमिली में हुआ था, जहां महिलाओं को काम के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता था। लेकिन टेकरीवाल प्राइवेट जेट में उड़ान को ज्यादा सुलभ और सस्ता बनाने के मिशन के लिए खासी जुनूनी थीं। उन्होंने सभी बाधाओं को पार करते हुए JetSetGo की स्थापना की, जिसे उन्होंने अपने सुधीर परला के साथ मिलकर 2012 में शुरू किया था।
नई टेक्नोलॉजी के दम पर जमाया बिजनेस
भारतीय आकाश के उबर (Uber) के रूप में चर्चित स्टार्टअप ने चार्टिंग प्लेन के साथ जुड़ी समस्याओं की पहचान की और कस्टमर्स के लिए प्रोसेस को आसान बनाने के लिए नई टेक्नोलॉजी पर काम किया।
इंडियाटाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उनका स्टार्टअप टेक, विशेष रखरखाव प्रक्रियाओं और स्मार्ट मैनेजमेंट का इस्तेमाल करता है। इसके प्रॉफिटेबिलिटी सुनिश्चित होती है और रखरखाव की लागत कम होती है। वहीं कस्टमर्स के लिए चार्टर फ्लाइट्स बुक करना आसान हो जाता है।
मुश्किल हो गई थी पहली उड़ान
सामने आई समस्याओं पर टेकरीवाल ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा, हमें उम्मीद थी कि अमीर प्लेन मालिक अपने प्लेन यहां पर लिस्ट कराएंगे और कस्टमर्स हमारे प्लेटफॉर्म से बुकिंग करेंगे, लेकिन हमारी पहली उड़ान शुरू नहीं हुई क्योंकि पायलट ही नहीं मिले।
उन्होंने कहा, मुझे अहसास हो गया कि बुकिंग प्लेटफॉर्म से आधी समस्या दूर हुई है। धीरे-धीरे हम एयरक्राफ्ट मैनेजमेंट कंपनी बन गए और एक बार हमारी चार्टर डिमांड उपलब्ध सप्लाई से ज्यादा हो गई तो हमने विमान खरीदने का फैसला किया। उसके बाद हमने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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