नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) ने बायूजज के फाउंडर बायजू रामचंद्रन और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच 158 करोड़ रुपये के सेटलमेंट की हरी झंडी फिलहाल टाल दी है। दरअसल, कंपनी के अमेरिकी लेनदारों ने पैसे के स्रोत को लेकर सवाल उठाए थे। लेनदारों ने इस सेटलमेंट में 'गड़बड़ी' का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि इसका भुगतान 'चुराए गए पैसों' से किया जा रहा है। साथ ही, उन्होंने ट्राइब्यूनल ने इस समझौते को खारिज करने का अनुरोध किया।
NCLAT ने बायजूज (Byju’s) के फाउंडर रवींद्रन से यह अंडरटेकिंग देने को कहा कि पैसा किसी गड़बड़ी वाले स्रोत से हासिल नहीं किया गया है और उन्होंने पैसे जुटाने के लिए ट्राइब्यूनल के आदेशों का उल्लंघन नहीं किया है। ट्राइब्यूनल ने बायूजज का संचालन करने वाली इकाई थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड से 1 अगस्त को कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स नहीं बनाने को भी कहा, जब इस मामले की अगली सुनवाई होगी।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल ने BCCI की शिकायत पर थिंक एंड लर्न के खिलाफ 16 जुलाई को दिवालिया घोषित करने से जुड़ी कार्यवाही शुरू की थी। BCCI ने अपनी शिकायत में 158 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान नहीं किए जाने की बात कही थी। रवींद्रन ने इस आदेश को NCLAT में चुनौती दी थी। BCCI और रवींद्रन के वकीलों ने NCLAT को बताया कि दोनों पक्ष विवाद निपटाने पर सहमत हो गए हैं और बायजूज 2 और 9 अगस्त को BCCI को भुगतान करेगी। NCLAT को बताया गया कि रकम का भुगतान रवींद्रन के भाई रिजू करेंगे, जो कंपनी में बड़े शेयरहोल्डर हैं।
हालांकि, बायजूज के अमेरिकी लेनदारों ने इस सेटलमेंट पर सवाल उठाए हैं। लेनदारों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, 'जो कंपनी सैलरी भी नहीं दे पा रही है, वह अचानक से 150 करोड़ रुपये का भुगतान कैसे कर सकती हैं। बायजू और रिजू ने साजिश रचकर 50 करोड़ डॉलर की हेराफेरी की। यह हमारा पैसा है, जिसे इन लोगों ने निकाल लिया है।' रवींद्रन ने NCLAT को बताया कि BCCI से मामला निपटाने के लिए रिजू ने 158 करोड़ रुपये जुटाए हैं और यह पैसा गलत तरीके से हासिल नहीं किया गया है।