सुब्रत रॉय (Subrata Roy) का निधन 14 नवंबर को मुंबई में हो गया। ज्यादातर लोगों को इसके बारे में 15 नवंबर की सुबह पता चला। नींद से उठते ही यह खबर जानकर हैरानी हुई। इसलिए कि लोगों को यह पता नहीं था कि वह बीमार थे और मुंबई के बड़े हॉस्पिटल में भर्ती थे। कारोबार और उद्योग की दुनिया में फर्श से अर्श पर पहुंचने की कई कहानियां आपने सुनी होगी। लेकिन, सुब्रत राय की कहानी कई मायनों में अलग है। सहारा समूह के लाखों एंप्लॉयीज के लिए वह 'सहाराश्री' थे। नाम, शान और रसूख के लिहाज से जो ऊंचाइयां उन्होंने छुई थी, वैसा शायद ही किसी दूसरे उद्योगपति ने छुआ होगा। 75 साल की उम्र में इस दुनिया से जाने का मतलब है कि उन्हें जिंदगी कम नहीं मिली थी। उस जिंदगी को उन्होंने खूब जिया। करोड़ों को प्रेरित किया। लाखों लोगों को रोजीरोटी कमाने के मौके दिए। इंडिया में कई खेल और खिलाड़ियों को आगे बढ़ने में मदद की। लेकिन, सेबी से टकराने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। फिर, अश्वमेध यज्ञ के घोड़े की रफ्तार थम गई।
करोड़ों लोगों को सेविंग्स की आदत लगाई
बिहार के एक छोटे शहर में जन्मे रॉय की शुरुआती पढ़ाई कोलकाता में हुई। लेकिन, करियर की शुरुआत उन्होंने गोरखपुर से की। कई छोटे-मोटे काम करने के बाद उन्होंने नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी की शुरुआत की। कुछ ही सालों में सहारा फाइनेंस का नाम गांव से लेकर शहरों में घर-घर पहुंच गया। सरकारी और निजी बैंक लोगों को जो सुविधा देने में नाकाम थे। वह सुविधा सहारा फाइनेंस ने लोगों को दिया। खासकर दिन भर में 100-200 रुपये कमाने वाले लोगों को रोजाना 20-40 रुपये बचाने के मौके दिए। पहले लाखों और फिर करोड़ों लोगों ने सहारा की मदद से रोजाना बचत को अपनी आदत बना ली।
जो काम बैंकों ने नहीं किए वह सहारा फाइनेंस ने किया
सहारा फाइनेंस और उसकी सब्सिडयरी कंपनियों ने लोगों को तय समय पर बचत के पैसे लौटाए। लोगों का भरोसा जमता गया और सुब्रत राय का कारोबारी साम्राज्य बढ़ता गया। तब NBFC के लिए RBI के नियम आज जितने सख्त नहीं थे। एक तरह से आप कह सकते हैं कि रेगुलेशन के नाम पर कुछ बहुत पुरानी गाइडलाइंस थीं। दरअसल, कभी बैंकिंग रेगुलेटर और सरकार ने सोचा नहीं था कि कोई एनबीएफसी इतनी बड़ी हो जाएगी, जिसको काबू में करना मुश्किल हो जाएगा। करोड़ों लोगों से रोजाना आने वाले 100-200 रुपये इतने ज्यादा बढ़ गए कि सुब्रत राय ने हर उस इंडस्ट्री में कदम रखा, जो तब नजर में आता था। इनमें होटल, रियल एस्टेट, म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस, एयरलाइंस, रिटेल.....।
सुब्रत राय ने अपने बेटों की शादी में जितने पैसे खर्च किए, उतना ज्यादा खर्च का आपको शायद ही कोई दूसरा उदाहरण मिले। बताया जाता है कि यह खर्च 500 करोड़ रुपये से ज्यादा था। शादी में आमंत्रित वीवीआईपी की लिस्ट ने लोगों को हैरान कर दिया था। बॉलीवुड और क्रिकेट के सितारे तो उनकी आंगन के स्थायी हिस्सा थे। जिन शख्सियतों को लोग मीडिया और सिनेमा के पर्दों पर देखने के आदी थे, वे उनके दाएं-बाए नजर आते थे। यह किसी आम व्यक्ति को सुब्रत राय के रसूख का अंदाजा लगाने को मजबूर कर देता था।
9 करोड़ कस्टमर्स और इनवेस्टर्स का सहारा समूह का दावा
इंडियन एक्सप्रेस ने 15 नवंबर को सुब्रत राय के निधन की अपनी खबर में सहारा समूह का नेटवर्थ 2,59,900 करोड़ रुपये बताया है। इसमें कहा गया है कि इस समूह के पास 30,970 एकड़ जमीन है। अखबार ने यह सहारा समूह की वेबसाइट पर किए गए दावों के आधार पर बताया है। इसमें सहारा समूह के इनवेस्टर्स और कस्टमर्स की संख्या 9 करोड़ बताई गई है। ये आंकड़े तब के हैं जब पिछले करीब 10 साल से कानूनी लड़ाई में फंसने के बाद सहारा समूह ढलान पर था। सुब्रत राय फर्श से अर्श पर पहुंचने की ऐसी कहानी के प्रतीक थे, जिसके बारे में अक्सर लोगों के बीच बातें होती थीं। वह अक्सर चर्चा में रहते थे। सुब्रत राय के निधन के बाद सहारा इंडिया ने एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है, "Saharasir ji, an inspirational leader and visionary।"