United Breweries vs Telangana: बियर सप्लाई पर यूबी और तेलंगाना सरकार आमने-सामने, ब्रोकरेज ने बताया जरूरी

United Breweries vs Telangana: तेलंगाना में बियर की बिक्री काफी अधिक है लेकिन मार्जिन बहुत कम है। बियर इंडस्ट्री के दाम बढ़ाने के बार-बार आग्रह के बावजूद तेलंगाना सरकार ध्यान नहीं दे रही है। यह काम पांच साल से अटका हुआ है और किंगफिशर (Kingfisher) की पैरेंट और देश की सबसे बड़ी बियर कंपनी यूनाइटेड ब्रूअरीज (United Breweries) का पेमेंट भी अटका हुआ है। इसके चलते तेलंगाना में यूबी ने सप्लाई ही रोक दी है

अपडेटेड Jan 09, 2025 पर 1:43 PM
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United Breweries vs Telangana: किंगफिशर (Kingfisher) की पैरेंट और देश की सबसे बड़ी बियर कंपनी यूनाइटेड ब्रूअरीज (United Breweries) और तेलंगाना सरकार आमने-सामने आ गए हैं।

United Breweries vs Telangana: किंगफिशर (Kingfisher) की पैरेंट और देश की सबसे बड़ी बियर कंपनी यूनाइटेड ब्रूअरीज (United Breweries) और तेलंगाना सरकार आमने-सामने आ गए हैं। घरेलू ब्रोकरेज फर्म कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज इसे पॉजिटिव एंगल से देख रहा है। ब्रोकरेज का कहना है कि प्राइस रिविजन और बकाए में देरी के चलते यूनाइटेड ब्रूअरीज (यूबी) का तेलंगाना में सप्लाई बंद करने का फैसला काफी साहसिक है। इसके चलते नियर टर्म में कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी को झटका दिख सकता है लेकिन जब तेलंगाना जब कीमत बढ़ाने के लंबे समय से अटके फैसले को मंजूरी देती है तो वित्त वर्ष 2026 में इसमें तेजी आएगी।

United Breweries vs Telangana: तेलंगाना कितना अहम

यूनाइटेड ब्रूअरीज का फैसला कितना साहसिक है, इसका अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि इसके सेल्स वॉल्यूम का करीब 18 फीसदी और रेवेन्यू का 15 फीसदी तेलंगाना से आता है। कंपनी ने तेलंगाना सरकार की इकलौती डिस्ट्रीब्यूटर तेलंगाना बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (TGBCL) को दो वजह बताकर सप्लाई बंद की है। एक तो लागत बढ़ने के बावजूद वित्त वर्ष 2020 में बेस प्राइस ना बढ़ाना जिसके चलते EBIT घाटा हुआ और दूसरी वजह बकाए का न मिलना है।


जून 2024 तक बकाया करीब ₹900 करोड़ (छह महीने की बिक्री से अधिक) का था और सितंबर 2024 में यह सालाना आधार पर 67% बढ़कर ₹2,430 करोड़ पर पहुंच गई। हालांकि सिर्फ यूबी ही इस समस्या से नहीं जूझ रही है बल्कि पूरी इंडस्ट्री परेशान है। तेलंगाना ने पिछले साल स्पिरिट्स के दाम बढ़ाने को मंजूरी दी थी लेकिन बियर इंडस्ट्री के ऐसे बदलाव के बार-बार आग्रह के बावजूद तेलंगाना सरकार ध्यान नहीं दे रही है।

तेलंगाना में बिक्री काफी अधिक है लेकिन मार्जिन बहुत कम है। बियर कंपनियों को एमआरपी पर तेलंगाना में सिर्फ 17-18 फीसदी का नेट रियलाइजेशन है जबकि बाकी के राज्यों में अधिकतर जगहों पर यह 25-30 फीसदी है। मार्केट में दबदबे के बावजूद ऑपरेटिंग लेवल पर कंपनी घाटे में चल रही है। पिछले 25 साल में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बियर का वॉल्यूम सालाना 6 फीसदी और उपभोक्ताओं का खर्च 11-12 फीसदी की चक्रवृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रहा है लेकिन इंडस्ट्री को मुश्किल से ही EBIT हासिल हो रहा है।

कितनी बढ़ोतरी United Breweries के लिए जरूरी?

कोटक का अनुमान है कि तेलंगाना में 30% प्राइस हाइक होता है, तब जाकर कंपनी का रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉयड (ROCE) कैपिटल कॉस्ट से अधिक हो सकता है। राज्य में आमतौर पर हर 3-4 वर्षों में कीमतें बढ़ाई जाती हैं लेकिन इस बार इंतजार 5 साल का हो गया और इस बार 15-25 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है। अभी तेलंगाना में यूनाइटेड ब्रूअरीज का नेट रियलाइजेशन ₹150-₹160 की एमआरपी वाले प्रति 650 मिली वाले बोतल पर ₹27-₹29 है। अब अगर तेलंगाना एमआरपी को 8 फीसदी बढ़ाती है और बढ़ोतरी को कंपनी के साथ साझा करते हैं तो यूनाइटेड ब्रूअरीज का नेट रियलाइजेशन 20-25 फीसदी बढ़ सकता है। कोटक का मानना है कि कंपनी की मांग जायज है और इससे महंगाई पर भी खास असर नहीं पड़ेगा। इसका EBITDA प्राइस हाइक के चलते ₹200-₹250 करोड़ बढ़ सकता है।

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First Published: Jan 09, 2025 1:36 PM

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