US Fed Rate Cut: फेडरल रिजर्व ने फिर घटाई ब्याज दर, आगे लिए क्या हैं संकेत?

US Fed Rate Cut: अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती की है। अब दरें 3.75%-4% के बीच हैं। जानिए क्यों घटाई गई दरें, आगे क्या संकेत हैं और भारत के बाजारों पर इसका क्या असर पड़ेगा।

अपडेटेड Oct 30, 2025 पर 12:00 AM
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फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) ने कहा कि मौजूदा हालात में दरें घटाना जरूरी था

अमेरिका के केंद्रीय बैंक US Federal Reserve ने 29 अक्टूबर को फिर से ब्याज दरों में कटौती की है। इस बार दरें 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) घटाकर 3.75% से 4% के बीच कर दी गई हैं। यानी, अब वहां बैंकों के लिए कर्ज लेना पहले से थोड़ा सस्ता हो गया है। यह लगातार दूसरी बार है जब फेड ने दरें घटाई हैं। इससे पहले सितंबर 2025 में भी इतनी ही कटौती हुई थी।

फेड ने यह भी ऐलान किया कि वह 1 दिसंबर से अपने एसेट परचेज कटौती (Quantitative Tightening) प्रोग्राम को बंद कर देगा। इसका मतलब है कि बाजार में अब पहले से ज्यादा लिक्विडिटी रहेगी।

फेडरल रिजर्व ने क्या कहा


फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) ने कहा कि मौजूदा हालात में दरें घटाना जरूरी था ताकि अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिल सके। कमेटी के मुताबिक, अमेरिकी अर्थव्यवस्था फिलहाल धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रही है। नौकरी के नए अवसर घटे हैं और बेरोजगारी थोड़ा बढ़ी है। वहीं, महंगाई (inflation) पहले से ऊंची बनी हुई है।

सरकारी शटडाउन की वजह से अमेरिका में रोजगार और महंगाई के ताजा आंकड़े नहीं आ पा रहे हैं, जिससे फेड अधिकारियों के लिए नीतिगत फैसले लेना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

क्यों घटाई गई ब्याज दर

फेडरल रिजर्व का काम होता है महंगाई को काबू में रखना और रोजगार बढ़ाना। लेकिन जब अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ती है, तो ब्याज दरें घटाई जाती हैं ताकि कंपनियां सस्ता कर्ज ले सकें और निवेश बढ़े। इससे रोजगार और खपत में सुधार आता है।

फेड ने यह भी कहा कि फिलहाल आर्थिक अनिश्चितता ज्यादा है, यानी आगे की स्थिति को लेकर भरोसा नहीं है कि चीजें किस दिशा में जाएंगी।

अब आगे क्या होगा

US Fed के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि फिलहाल प्राथमिकता अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना है। सितंबर में फेड अधिकारियों ने संकेत दिया था कि इस साल दो और कटौती हो सकती हैं, अगर हालात कमजोर रहे।

2024 में फेड ने तीन बार ब्याज दरें घटाईं थीं, लेकिन बाद में डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों और टैरिफ के असर को समझने के लिए दरों को स्थिर रखा गया। 2025 के जुलाई तक दरें 4.25%-4.50% के बीच थीं। अमेरिका में इस समय CPI महंगाई दर 3% है, जो उम्मीद से कम है। फेड का लक्ष्य है कि इसे 2% के आसपास लाया जाए।

भारत पर क्या असर पड़ेगा

अमेरिका में ब्याज दर घटने का सीधा असर दुनिया भर के बाजारों पर होता है। भारत पर भी इसका असर दिख सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, निवेशक अब अमेरिकी बॉन्ड की बजाय उभरते बाजारों (Emerging Markets) जैसे भारत में निवेश बढ़ा सकते हैं। इससे IT, फार्मा और एक्सपोर्ट से जुड़ी कंपनियों को भी फायदा हो सकता है।

हालांकि फिलहाल GIFT Nifty करीब 90 अंक नीचे 26,166 पर ट्रेड कर रहा है, जिससे गुरुवार को गैप-डाउन ओपनिंग यानी हल्की गिरावट के साथ शुरुआत की उम्मीद है।

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