Reciprocal Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ (reciprocal tariffs) का ऐलान कर दिया है। इससे भारत के $32 बिलियन के रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery) उद्योग को भारी झटका लग सकता है, क्योंकि यह निर्यात के लिए अमेरिका पर काफी हद तक निर्भर है। भारत की जेम्स एंड ज्वेलरी इंडस्ट्री करीब 34% यानी $11.58 बिलियन का एक्सपोर्ट सिर्फ अमेरिका को करती है।
इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि टैरिफ बढ़ाने से भारत की प्रतिस्पर्धा कमजोर पड़ सकती है। इससे व्यापार पर बुरा असर पड़ सकता है और लाखों लोगों की नौकरियों को खतरा हो सकता है।
सोने और हीरे के निर्यात को सबसे ज्यादा नुकसान
एक्सपर्ट का कहना है कि नए टैरिफ से सोने और हीरे का कारोबार सबसे ज्यादा प्रभावित होगा। SEEPZ Gems & Jewellery Manufacturers’ Association (SGJMA) के प्रेसिडेंट आदिल कोटवाल (Adil Kotwal) के मुताबिक, टैरिफ बढ़ने के बाद अमेरिका में भारत के सोने और हीरे से बने प्रोडक्ट की मांग घट सकती है।
वहीं, All India Gem and Jewellery Domestic Council (GJC) का कहना है कि यह सिर्फ टैक्स का मामला नहीं है, बल्कि इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार का संतुलन भी बदल जाएगा।
भारत की अर्थव्यवस्था पर कितना असर होगा?
भारत हर साल दुनिया भर में $32.85 बिलियन का जेम्स एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट करता है। इसमें से 30.28% ($9.95 बिलियन) सिर्फ अमेरिका को जाता है। 2024 में अमेरिका ने कुल $89.12 बिलियन के आभूषण आयात किए थे। इसमें से 12.99% ($11.58 बिलियन) भारत से भेजे गए थे।
Kama Jewellery के मैनेजिंग डायरेक्टर कोलिन शाह (Colin Shah) का कहना है कि अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी नीति का असर बहुत गंभीर हो सकता है। अब तक ढीले हीरों (Loose Diamonds) पर 0% टैक्स था, लेकिन अब यह 20% तक बढ़ सकता है। वहीं, गोल्ड ज्वेलरी पर 5.5-7% तक टैक्स लग सकता है।
किन प्रोडक्ट पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
भारत से अमेरिका को सबसे ज्यादा हीरे और सोने की ज्वेलरी निर्यात की जाती है। इनमें शामिल हैं:
क्या अमेरिका में भारत की प्रतिस्पर्धा कमजोर होगी?
इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि नए टैरिफ के कारण थाईलैंड, वियतनाम और कोरिया जैसे देश भारतीय उत्पादों से सस्ते विकल्प दे सकते हैं। इससे भारत की बाजार हिस्सेदारी के साथ मुनाफा भी घट सकता है। साथ ही, सप्लाई चेन में भी रुकावटें आ सकती हैं। इससे कंपनियों को व्यापार के नए रास्ते तलाशने या प्रोडक्शन विदेश में शिफ्ट करने पर विचार करना पड़ सकता है।
भारत के लिए रत्न और आभूषण उद्योग तीसरा सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र है। यह लाखों लोगों को रोजी-रोटी देता है। अगर अमेरिका से ऑर्डर घटते हैं, तो इस सेक्टर में बड़ी मंदी आ सकती है।