Vedanta vs Viceroy Research: वेदांता पर अमेरिकी शॉर्ट सेलर का नया वार, सेमीकंडक्टर यूनिट को बताया 'शेल ट्रेडिंग ऑपरेशन'
Vedanta vs Viceroy Research: अमेरिकी शॉर्टर सेलर वायसराय रिसर्च ने वेदांता लिमिटेड पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगाए हैं। वायसराय रिसर्च का दावा है कि वेदांता की सेमीकंडक्टर यूनिट असल में शेल ट्रेडिंग ऑपरेशन है। जानिए क्या है पूरा मामला और नए आरोपों पर वेदांता ग्रुप ने क्या कहा है।
वेदांता ने अमेरिकी शॉट सेलर वायसराय रिसर्च के सभी दावों को आधारहीन बताया है।
Vedanta vs Viceroy Research: अमेरिकी शॉर्ट सेलर वायसराय रिसर्च (Viceroy Research) ने माइनिंग दिग्गज अनिल अग्रवाल की वेदांता ग्रुप पर एक और बड़ा आरोप लगाया है। रिसर्च फर्म का दावा है कि अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाले वेदांता ग्रुप की सेमीकंडक्टर यूनिट असल में कोई मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस नहीं, बल्कि एक 'शेल कमोडिटी ट्रेडिंग ऑपरेशन' थी। इसे जानबूझकर नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NBFC) की कैटेगरी से बचाने के लिए डिजाइन किया गया। हालांकि, वेदांता ने इन आरोपों को बेबुनियाद करार दिया है।
ब्रांड फीस रेमिटेंस के लिए बनाई गई योजना?
Viceroy Research का दावा है कि वेदांता लिमिटेड की सब्सिडियरी Vedanta Semiconductors Pvt Ltd (VSPL) एक खास योजना का हिस्सा थी। इसके जरिए अप्रैल 2025 में वेदांता लिमिटेड ने अपनी पैरेंट कंपनी Vedanta Resources को ब्रांड फीस भेजी। वो भी उस समय, जब ग्रुप पर भारी लिक्विडिटी संकट मंडरा रहा था।
वेदांता की सफाई, सबकुछ कानून के दायरे में
वेदांता ग्रुप के प्रवक्ता ने एक बयान में Viceroy Research के सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। प्रवक्ता ने कहा, "Vedanta Semiconductors Pvt Ltd (VSPL) से जुड़े आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। VSPL की सभी बिजनेस गतिविधियां पारदर्शी रही हैं और कानूनी मानकों के हिसाब से बिल्कुल दुरुस्त हैं।"
VSPL को NBFC श्रेणी से बचाने की कोशिश?
वहीं, Viceroy का दावा है, "VSPL एक दिखावटी कमोडिटी ट्रेडिंग यूनिट है, जिसका मकसद NBFC की श्रेणी में आने से बचना था। यह एक ऐसी स्कीम थी, जो वेदांता लिमिटेड को ब्रांड फीस रेमिट करने में मदद करती, जबकि उस समय कंपनी वित्तीय संकट से जूझ रही थी।"
रिपोर्ट में कहा गया कि इस ऑपरेशन की असलियत को अगले 24 महीनों तक भारतीय रेगुलेटर्स से छिपाकर रखा जाना था, ताकि कंपनी अपने ऑफशोर लेंडर्स को चुकता कर सके और अप्रैल 2024 के वित्तीय संकट को छिपाया जा सके।
ट्रेडिंग, लेकिन सेमीकंडक्टर नहीं!
Viceroy के मुताबिक, "अप्रैल 2024 में वेदांता लिमिटेड जब नकदी संकट में थी, तब VSPL को दोबारा सक्रिय किया गया। लेकिन, सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन के लिए नहीं, बल्कि एक जीरो-मार्जिन ट्रेडिंग कंपनी के तौर पर, जो सिर्फ कागजी ट्रेडिंग (जैसे copper, silver, gold) कर रही थी।"
रिपोर्ट में दावा किया गया कि VSPL ने ऑफशोर लेंडर्स से INR में 10 फीसदी NCD जुटाए, जो Vedanta Ltd की हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) में हिस्सेदारी के खिलाफ सुरक्षित थे। बाद में यह रकम वेदांता लिमिटेड को 12 फीसदी ब्याज दर पर लोन के रूप में दी गई।
लोन भुगतान को छिपाने की योजना?
Viceroy का आरोप है कि VSPL एक नकली ऑपरेशन के जरिए इस लोन को FY27 तक चलाना चाहती है। अगर इस दौरान रेगुलेटरी दखल होता है, तो लेंडर्स को भारी नुकसान हो सकता है।
वेदांता की फिर से प्रतिक्रिया
हालांकि, अनिल अग्रवाल की वेदांता ने दोहराया, "VSPL और Vedanta Ltd के बीच हुए लोन ट्रांजैक्शन पूरी तरह से कानून के मुताबिक हैं। सभी ब्यौरे जैसे कि लोन की शर्तें, ब्याज दरें और गारंटी को पारदर्शिता से रिपोर्ट किया गया है।"
Viceroy: सवालों का जवाब नहीं मिला?
अमेरिकी शॉर्ट सेलर Viceroy का कहना है कि वेदांता लगातार यह कहती रही कि रिपोर्ट में तथ्यों से पहले संपर्क नहीं किया गया, लेकिन 9 जुलाई से उठाए गए सवालों का अब तक कोई जवाब नहीं मिला। उसका दावा है, "अगर कंपनी इतनी तेजी से रिपोर्ट को खारिज कर सकती है, तो जवाब देने में इतनी देरी क्यों?"
कब हुई थी इस विवाद की शुरुआत
दरअसल, अमेरिकी शॉर्ट सेलर Viceroy Research ने 9 जुलाई को वेदांता रिसोर्सेज के कर्ज पर शॉर्ट पोजीशन ली थी। उसने आरोप लगाया था कि ब्रिटिश फर्म अपनी भारतीय यूनिट से सिस्टमैटिकली फंड निकाल रही है। तब भी वेदांता ने रिपोर्ट को 'गलत तथ्यों और निराधार आरोपों का मेल' बताया था।
वेदांता लिमिटेड के शेयरों का हाल
वेदातां लिमिटेड के शेयर शुक्रवार, 18 जुलाई को 0.24% की बढ़त के साथ 445.40 रुपये पर बंद हुए थे। पिछले 1 महीने के दौरान कंपनी के शेयरों में 0.38% की मामूली गिरावट आई है। वहीं, इस साल यानी 2025 में अब तक वेदांता ने 0.21% का मामूली रिटर्न दिया है। इसका मार्केट कैप 1.66 लाख करोड़ रुपये है।