Wholesale inflation: फरवरी में भारत की थोक महंगाई दर बढ़कर 2.38 फीसदी पर पहुंच गई, जो इसका पिछले 2 महीनों का उच्चतम स्तर है। कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से सोमवार 17 मार्च को जारी आंकड़ों के मुताबिक, खाने-पीने से जुड़ी वस्तुओं की कीमतों में गिरावट देखी गई। लेकिन मैन्युफैक्चर्ड उत्पादों की कीमतों में तेजी के कारण थोक महंगाई दर में इजाफा हुआ। इससे पहले जनवरी में थोक महंगाई दर 2.3% थी, जबकि पिछले साल फरवरी में यह 2.61% रही थी।
थोक महंगाई दर की गणना होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) के आधार पर होती है। इस इंडेक्स में मैन्युफैक्चर्ड उत्पादों का वेटेज लगभग दो-तिहाई है। जबकि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित खुदरा महंगाई दर में फूड प्राइसेज का वेटेज लगभग 50% होता है। इसी वजह से, खुदरा महंगाई दर में फरवरी में गिरावट देखने को मिली।
खुदरा महंगाई दर में पिछले कुछ महीनों से लगतारा गिरावट देखने को मिल रही है। फरवरी में यह 3.6% पर आ गई, जो इसका पिछले 7 महीनों का सबसे निचला स्तर है। वहीं, फूड इंफ्लेशन की महंगाई 21 महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गई है। हालांकि इस सबके बीच कोर महंगाई (Core Inflation) पिछले 7 महीनों में सबसे तेज गति से बढ़ी है।
आगे स्थिर रह सकती है थोक महंगाई
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आने वाले महीनों में थोक महंगाई दर मौजूदा स्तरों के आसपास बनी रह सकती है। 3 मार्च को जारी परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के अनुसार, मैन्युफैक्चरर्स को लागत में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ रहा है, और मजबूत मांग के कारण वे इस लागत को उपभोक्ताओं पर डाल रहे हैं। हालांकि, क्रूड ऑयल का दाम 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे रहने पर महंगाई पर दबाव कम हो सकता है।
RBI फिर से कर सकता है ब्याज दरों में कटौती
खुदरा महंगाई में गिरावट से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) के लिए आगे ब्याज दरों में और कटौती का रास्ता साफ हो सकता है। मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की अब अप्रैल में बैठक होनी है। इससे पहले फरवरी में हुई बैठक में, मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने 5 सालों के लंबे अंतराल के बाद पहली बार रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (bps) की कटौती की थी। यह कटौती RBI के इस अनुमान के बाद हुई थी कि महंगाई दर उसके 4% के लक्ष्य तक आ सकती है।